क्या दौलत और क्या शोहरत, सहाराश्री को आखिरी वक्त में दोनों बेटों का कांधा भी नसीब नहीं।

मुंबई: (शिब्ली रामपुरी) ऐसी दौलत और शोहरत का क्या करें कि जिसके होते हुए भी सहाराश्री अपने आखिरी वक्त में बिल्कुल बेसहारा होकर रह गए और यहां तक की कि उनको अपने दोनों बेटों में से किसी एक का भी कांधा नसीब नहीं हुआ

यह वह शब्द है जो आज हर किसी की जुबान पर है कि कभी अपने बेटों की शादी में पानी की तरह पैसा बहाने वाले सहाराश्री सुब्रत राय को उन्हीं बेटों का कांधा तक नसीब नहीं हुआ. सुब्रत राय के बेटे विदेश में रहते हैं और दोनों बेटों में से कोई भी उनके आखिरी सफर में नहीं आया।

एक वह दौर था कि जब 10 फरवरी 2004 को रॉय के बड़े बेटे सुशांतो और उसके 4 दिन बाद 14 फरवरी को छोटे बेटे सीमांतो की शादी हुई थी। देशभर से 10,500 वीआईपी मेहमान इन शादियों में शामिल हुए। सियासत, खेल, कारोबार, फिल्म...हर क्षेत्र की दिग्गज हस्तियां लखनऊ में हुई दोनों शादियों में शरीक हुई थीं। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, सोनिया गांधी, शरद पवार, मुलायम सिंह यादव, अमर सिंह, राजनाथ सिंह, पूर्व पीएम चंद्रशेखर, लालू प्रसाद यादव, प्रमोद महाजन, मायावती, शिबू सोरेन, सुरेश कलमाड़ी...राजनीति के एक से बढ़कर एक दिग्गज इन शादियों के गवाह बने। फिल्मी दुनिया के तमाम नामचीन सितारों का जमघट लगा था. एक यह भी वक्त है कि जब सहाराश्री के अंतिम संस्कार में उनके बेटे तक नहीं आ सके.रॉय को उनके पोते हिमांक ने मुखाग्नि दी। 16 साल के हिमांक लंदन में पढ़ते हैं और सुब्रत रॉय के छोटे बेटे सीमांतो के बेटे हैं।

काबिले गौर हो कि सहाराश्री के नाम से मशहूर सुब्रत राय का बीमारी के चलते निधन मुंबई में हुआ था और उनका अंतिम संस्कार लखनऊ में किया गया।

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