मौलाना असजद मदनी होंगे जमीयत उलमा-ए-हिंद की क़ानूनी इमदाद कमेटी के मुक़दमों में वादी, मौलाना अरशद मदनी के निर्देश पर गुलजार आज़मी जगह निभाएगें ज़िम्मेदारी।

नई दिल्ली: जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के निर्देश पर जमीअत उलमा-ए-हिंद के उपाअध्यक्ष मौलाना असजद मदनी को उन सभी मुक़दमों में वादी बनाया गया है जो जमीअत उलमा-ए-हिंद क़ानूनी इमदाद कमेटी निचली अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ रही है। 

गौरतलब है कि इन सभी अहम मुक़दमों में दिवंगत गुलज़ार आज़मी सचिव क़ानूनी इमदाद कमेटी वादी थे, जिनका अगस्ता 2023 में बीमारी के चलते इंतकाल हो गया था, उनके निधन के बाद आतंकवाद और दंगों में गिरफ़्तार किए गए लोगों के परिवार वाले चिंतित थे कि उनके मुक़दमों की पैरवी अब कौन करेगा और प्रभावितों की समय पर सहायता के लिए कौन आगे आएगा। 
जमीअत उलमा-ए-हिंद की क़ानूनी इमदाद कमेटी को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है, इस कमेटी द्वारा एक ओर जहां सैकड़ों मुस्लिम युवकों को आतंकवाद जैसे गंभीर आरोपों से बरी कराया गया वहीं अन्य विभिन्न प्रकार के कई महत्वपूर्ण मुक़दमे भी वह पूरी दृढ़ता से लड़ रही है, जिसके ज़िम्मेदार अब उपाअध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-हिंद मौलाना असजद मदनी होंगे जो अदालत में विचाराधीन मुक़दमों में याचिकाकर्ता होंगे। इसके लिए एडवोकेट आन-रिकार्ड द्वारा सुप्रीम कोर्ट में मौलाना असजद मदनी को रिकार्ड पर लेने की अर्ज़ी दाखिल की जा चुकी है। 

बता दें कि बाबरी मस्जिद मामले में हाईकोर्ट के फ़ैसले के खि़लाफ़ सुप्रीम कोर्ट में पेटिशन दाखि़ल करते समय मौलाना असजद मदनी जमीअत उलमा-ए-हिंद और वकीलों के बीच एक अहम कड़ी थे, इबादतगाहों की सुरक्षा का क़ानून 1991, अवैध बुलडोज़र कार्रवाई, लव जिहाद क़ानून, मॉबलिंचिंग, मर्कज़ हज़रत निज़ामुद्दीन करोना मामले और अन्य संवैधानिक मामलों में भी जमीअत उलमा-ए-हिंद की ओर से मौलाना असजद मदनी याचिकाकर्ता होंगे। अध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-हिंद के निर्देश पर छः सदस्यों पर आधारित जमीअत उलमा महाराष्ट्र क़ानूनी इमदाद कमेटी महाराष्ट्र में अपना काम करती रहेगी, जिसमें कार्यवाहक अध्यक्ष हाफ़िज़ मसऊद हुस्सामी, महासविच मौलाना हलीमुल्लाह क़ासमी, ख़ाज़िन मुफ़्ती यूसुफ़ क़ासमी, लीगल एडवाइज़र एडवोकेट शाहिद नदीम, एडवोकेट अंसार तंबोली और ऑफ़िस सैक्रेटरी मौलाना मेराज क़ासमी शामिल हैं।

 समीर चौधरी।

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