अदबी व सामाजिक संस्था जहान-ए-अदब के तत्वावधान में दिलशाद खुश्तर के आवास पर शेरी नशिस्त का आयोजन।

देवबंद: अदबी व सामाजिक संस्था जहान ए अदब के तत्वावधान में अनवार उल हक शादा की आमद पर दिलशाद खुश्तर के आवास मौहल्ला किला पर एक शेरी नशिस्त का आयोजन किया गया। जिसकी  अध्यक्षता जावेद हाश्मी मानवी एल और संचालन सुहेल अकमल देवबन्दी ने किया।
प्रोग्राम काआगाज़ दिलशाद खुश्तर की नात-ए-पाक से किया गया। नशिस्त में पेश किए गए चन्द शेर मुलाहिजा फरमाएं।
जावेद हाश्मी मानवी ने कहा,,
मेरी ग़ज़ल तमाम ग़ज़ल का सफ़र तमाम,
महुस्न ए तख़य्युलात हुआ आप पर तमाम ,,
    शादां फलावदी का अन्दाज़ ए बयां देखिऐ
 तुम्हारे शहर में लायेगा फिर जुनू हम को,
हमारे नाम के पत्थर संभाल कर रखिऐ,,
       दिलशाद खुश्तर ने पढ़ा
 हाथ से हाथ मिलाने वालों,
 दिल मिलाओ तो बात बन जाए,,
 शमीम किरतपुरी के शेर पर खूब दाद मिली,
मसरूर मेरा दिल है मुहब्बत के असर से,
अल्लाह तू बचा ले इसे दुश्मन की नज़र से,,
    नईम अख़्तर देवबन्दी ने कहा
चुका ना पाया पसीना जो ब्याज की किस्तें,
लहू को रोटी पे मल मल के खा रहे हैं लोग ,,
     वसीम ज्ञानी मानवी ने पढ़ा
 लबे साहिल पे कहतीं हैं तड़पती मछलियां रो कर,
हमें पानी में रहने दो हमारा घर समन्दर है।।
     शायर तनवीर अजमल ने पढ़ा
 खूबसूरत सा इक हादसा हो गया,
उस का मैं हो गया वो मेरा हो गया,,
  डाक्टर काशिफ़ अख़्तर का अन्दाज़ ए बयां देखिऐ
तुम्हारे बाद तो आंखों ने खुदकुशी कर ली ,।
नज़र उठा के ना देखा कभी किसी की तरफ।
इन के अलावा आज़म साबरी, सुहेल अकमल देवबन्दी ने भी अपना खूबसूरत कलाम सुनाया।
अन्त मे दिलशाद खुश्तर ने सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।

समीर चौधरी/महताब आज़ाद।

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