नूह की सांप्रदायिक हिंसा राजनीति से प्रेरित एक बड़ी योजनाबद्ध साजिश, बोले अरशद मदनी, मुसलमानों के खिलाफ़ एकतरफा कार्रवाई खुला जुल्म है, बीना भेदभाव दोषियों को कड़ी सज़ा मिले।

देवबंद: जमीयत उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने देश के वर्तमान हालात पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए नूंह और मेवात के सांप्रदायिक दंगों और मुंबई-जयपुर ट्रेन के भीतर हुए मुसलमानों के नरसंहार की निष्पक्ष एवं उच्च स्तरीय जांच कराए जाने और दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई किए जाने की मांग की।

गुरुवार को जारी बयान में मौलाना अरशद मदनी ने नूह में हुए सांप्रदायिक दंगे को एक बड़ी और योजनाबद्ध साजिश करार देते हुए कहा कि प्रशासन की जानकारी में सब कुछ था, उसे यह भी मालूम था कि नासिर और जुनैद की निर्मम हत्या का फरार मुख्य आरोपी नूह में निकलने वाली धार्मिक यात्रा के सम्बंध में भडक़ाऊ वीडीयो सोशल मीडीया पर डाल रहा है और लोगों से इस यात्रा में भारी संख्या में शामिल होने की अपीलें कर रहा था। इसके बावजूद पुलिस ने कोई सावधानी नहीं बरती। जिसका परिणाम वही हुआ जिसका डर था। मदनी ने कहा कि अब नूंह में अब एकतरफा कार्रवाई की जा रही है। जो खुला जुल्म है। जबकि दंगाइयों ने वहां पर मुसलमानों को चुन चुनकर निशाना बनाया, उनकी दुकानें जलाई, मस्जिदों में आग लगाई, इमाम की पीट पीट कर हत्या कर दी। क्या यह सब जुर्म नहीं है?। मौलाना ने दो टूक कहा कि नूंह की हिंसा राजनीति से प्रेरित है। धार्मिक हिंसा को हवा दी जा रही है ताकि इसके सहारे 2024 में होने वाला लोकसभा चुनाव जीता जा सके।
मौलाना मदनी ने कहा कि चलती ट्रेन में मुसलमानों की निमर्म हत्या की गई। इसके बावजूद हत्यारे को मानसिक रोगी साबित किए जाने की कोशिश की जा रही है। कहा कि यह दुनिया का ऐसा पहला मरीज है जिसकी गोली केवल मुसलमानों को पहचानती है। सच तो यह है कि यह शर्मनाक है और इससे पूरी दुनिया में देश की छवि दागदार हुई है। मौलाना मदनी ने कहा कि इन दोनों घटनाओं की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और जो लोग दोषी पाए जाएं उन्हें भेदभाव के बिना कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहीए। क्योंकि हो रही एकतरफा कार्रवाई कानून और न्याय के मुंह पर एक तमाचा है।

समीर चौधरी।

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