दारुल उलूम देवबंद ने छात्रों के बाहर जाकर कोचिंग लेने पर लगाई पाबंदी, NCPCR और अल्पसंख्यक आयोग ने भेजा नोटिस, मोहतमिम दारुल उलूम ने दिया स्पष्टीकरण, बोले अंग्रेजी या अन्य शिक्षा का विरोधी नहीं है दारूल उलूम।

देवबंद: विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद द्वारा अपने छात्रों को बाहरी कोचिंग सेंटर में इंग्लिश आदि की कोचिंग लेने पर लगाई गई पाबंदी के मामले पर नेशनल कमीशन ऑफ प्रोटेक्शन चाइल्ड राइट्स (NCPCR) ने डीएम सहारनपुर से इस मामले में नोटिस भेजकर कार्रवाई करने को कहा है, वहीं अल्पसंख्यक आयोग ने भी दारुल उलूम के शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया है। जिस पर शुक्रवार को स्पष्टीकरण देते हुए दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि दारुल उलूम देवबंद अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा का मुखालिफ नहीं है बल्कि संस्था के हॉस्टल में रहने वाले छात्रों पर बाहर से कोचिंग लेने और अन्य कारोबार करने वाले छात्रों की गतिविधियों पर पाबंदी लगाई है ताकि वह अपना पूरा समय उस पाठ्यक्रम दे सके जिसके लिए उन्होंने यहां दाखिला लिया है। 

मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने अपने बयान में कहा कि कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा गलत तरीके से खबर चला कर ऐसा जताया गया है जैसे दारुल उलूम देवबंद ने अंग्रेजी पढ़ने को प्रतिबंधित कर दिया है जबकि ऐसा नहीं है बल्कि संस्था में बाकायदा अंग्रेजी का एक अलग विभाग है और बच्चों को इसकी तालीम दी जा रही है।"  इसके अलावा कंप्यूटर का अलग विभाग है साथ ही प्राइमरी में यहां बच्चों को इंग्लिश, हिंदी, गणित, विज्ञान सहित सभी शिक्षाएं दी जाती है। उन्होंने कहा कि दारुल उलूम देवबंद किसी भाषा या किसी शिक्षा का मुखालिफ नहीं है, बल्कि छात्रों के लिए जो बेहतर होता है वही फैसला किया जाता है। उन्होंने बताया कि वह एनसीपीसीआर के नोटिस का जवाब दे रहे हैं।

उन्होंने कहा, "यह पाबंदी सिर्फ उन छात्रों के लिए है जो दारुल उलूम देवबंद में दाखिला तो आलिम और फाजिल के कोर्स के लिए लेते हैं लेकिन यहां न पढ़कर वे अंग्रेजी या दूसरी पढ़ाई पढ़ने के लिए शहर के किसी कोचिंग सेंटर में जाते हैं। अंग्रेजी पढ़ने से किसी को मना नहीं किया जा रहा है। दारुल उलूम में छात्रों के लिए पूरे 24 घंटे का अलग-अलग शिक्षण और प्रशिक्षण कार्य निर्धारित हैं। ऐसे में छात्रों के बाहर चले जाने से इस संस्थान में उनकी शिक्षा प्रभावित होती है।"

मौलाना नोमानी ने कहा कि यह पाबंदी सिर्फ इन्हीं छात्रों के लिए नहीं है बल्कि कई ऐसे छात्र हैं जो मदरसे में दाखिला लेने के बावजूद बाहर अपना कारोबार करते हैं। उन सभी पर ऐसा करने पर पाबंदी लगाई गई है। अगर उन्होंने किसी कोर्स में दाखिला लिया है तो उस पर पूरा मन लगाकर पढ़ाई की जाए, और बाहर के कोचिंग सेंटर से दूरी बनाएं। 
बता दें कि प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने अपने यहां पढ़ रहे छात्रों के बाहर जाकर किसी अन्य पाठ्यक्रम को पढ़ने पर पाबंदी लगा दी है। संस्थान ने स्पष्ट किया है कि उसने यह प्रतिबंध इसलिए लगाया है क्योंकि छात्रों द्वारा दूसरे कोर्स पढ़ने के लिए बाहर जाने से संस्थान की अपनी तालीमी व्यवस्था प्रभावित होती है। 
गौरतलब है कि एनसीपीसीआर ने अपने नोटिस में डीएम सहारनपुर को इस मामले में कार्रवाई करने को कहा है वहीं अल्पसंख्यक आयोग द्वारा शिक्षा प्रभारी मौलाना हुसैन हरिद्वारी को जारी नोटिस में 21 जून दोपहर 12:00 बजे तक आयोग के सामने पेश होने का निर्देश दिया है।

इस बीच, दारुल उलूम देवबंद के प्रधानाध्यापक (सदर मुदर्रिस) और जमीअत उलमा ई हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह शिक्षण संस्थान अंग्रेजी कंप्यूटर का आधुनिक शिक्षा का विरोध नहीं करता बल्कि संस्था के अंदर बाकायदा इनके अलग-अलग विभाग हैं। जहां दाखिला लेकर छात्र तालीम हासिल करते हैं लेकिन अक्सर यह देखा जा रहा है कि दारुल उलूम देवबंद में प्रवेश लेकर छात्र बाहर कोचिंग करने जाते हैं जो गलत है। इसी वजह से यह पाबंदी लगाई गई है।

समीर चौधरी।

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