देवबंद में शांतिपूर्ण ढंग से मतदान समाप्त होने पर प्रशासन ने ली राहत की सांस, कुल 64.99 प्रतिशत हुई वोटिंग, महिलाओं ने लगाया बदसलूकी का आरोप तो मतदाता सूची में नाम न होने से बड़ी संख्या में मायूस हुए वोटर।

देवबंद: निकाय चुनाव को गुरुवार को आरंभ हुआ मतदान देर शाम तक चला। शाम छः बजे तक  प्रतिशत मतदान हुए। हालांकि शांति पूर्वक मतदान होने से पुलिस-प्रशासन ने भी राहत की सांस ली। मतदाताओं द्वारा मतदान होने के बाद देर शाम अध्यक्ष पद के लिए 24 प्रत्याशियों और 136 सभासद प्रत्याशियों का भाग्य 13 मई को खुलेगा।
तीन सभासदो के निर्विरोध निर्वाचित हो जाने के बाद 22 वार्डो और अध्यक्ष पद के 24 प्रत्याशियों के लिए गुरुवार सुबह सात बजे नगर के 22 मतदान केंद्रों के 89 बूथों पर मतदान आरंभ हुआ। हालांकि पहले एक घंटे में मतदान कम हुआ था लेकिन समय बढ़ने के साथ मतदान की गति भी मध्यम-मध्यम बढ़ती चली गई। सुबह 9:00 बजे तक 11%, 11:00 बजे तक 23%, 1:00 बजे तक 38%, 3:00 बजे तक 49%, शाम 5:00 बजे तक 58% और 6:00 बजे तक कुल 64.99% मतदान हुआ है। 
इस दौरान प्रशासन खासा मुस्तैद रहा। लेकिन विपक्षी प्रत्याशियों के समर्थकों ने प्रशासन पर भेदभाव का रवैया अपनाने का आरोप लगाया। प्रत्याशियों के मुताबिक खास क्षेत्रों में मतदाताओं को उनकी पर्ची बिना देखे ही अंदर भेजे जा रहा था वहीं दूसरें बहूल क्षेत्रों में पोलिंग बूथ के बाहर ही पर्ची और आधार का मिलान किया जा रहा था। हालांकि पोलिंग बूथ पर पहुंचे बहुत से मतदाताओं ने उनका नाम वोटिंग लिस्ट में न होने का आरोप लगाया। कहा कि पहली और दूसरी लिस्ट में उनका नाम था जबकि अंतिम मतदाता सूचि में उनका नाम नहीं था। इतना ही नहीं पोलिंग बूथ पर कूछ मतदाताओं के वोट पहले ही पड़ जाने के चलते उन्हें बिना वोट डाले ही वापिस लौटना पड़ा जबकि कई मतदाता टेंडर वोट मांगते दिखाई दिए।

वोटर लिस्ट में नाम ही ढूंढ़ते रहे मतदाता।

देवबंद: निकाय चुनाव के लिए उत्साह के साथ लोग घरों से मतदान करने के लिए निकले। लेकिन उन्हें वोटर लिस्ट में अपना ही नहीं मिला। घंटों वह अलग अलग प्रत्याशियों के बस्ते पर जाकर नाम की तलाश कराते रहे। कमोबेश यह स्थिति सभी मतदेय केंद्रों पर रही। लोग वोटर लिस्ट में नाम तलाशते रहे। लेकिन उनके नाम मिले ही नहीं। पता चला कि इस बार उनके नाम कटे हुए हैं।
महिलाओं ने लगाया बदसलूकी का आरोप।
सुबह से ही मतदेय केंद्रों पर वोट डालने को लेकर महिलाओं की लंबी लंबी लाइनें लगी दिखाई दीं। महिलाएं जल्दी वोट डालकर घर का कामकाज निपटाने की वजह से सवेरे ही मतदान केंद्रों पर पहुंच गई थीं। लेकिन उन्हें पुलिसकर्मियों की बदसलूकी के चलते घंटों का समय लग गया। इस्लामिया डिग्री कॉलेज में सबसे अधिक महिलाओं के साथ बदसलूकी की गई। यहां ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिसकर्मी ने कभी उम्र को लेकर उन्हें बाहर ही रोके रखा तो कहीं चेहरे का मिलान न होने की वजह से उन्हें वापस भेज दिया गया। इतना ही नहीं बहुत सी महिलाएं मासूम बच्चों को गोद में लेकर पहुंची तो उन्हें भीतर जाने ही नहीं दिया गया। जिसके चलते उन्हें बच्चों को रोता बिलखता सड़क पर छोड़कर वोट डालने को मजबूर होना पड़ा। यहीं नहीं इस्लामिया डिग्री कॉलेज में वोट डालने पहुंची पूर्व विधायक माविया अली व सपा से पालिकाध्यक्ष पद की प्रत्याशी जहीर फातिमा की बेटी को महिला पुलिसकर्मियों ने महज इसलिए वोट डालने से रोक दिया क्योंकि पहचान पत्र में चेहरे का मिलान नहीं हो रहा था। जिसके चलते पूर्व विधायक माविया अली को मतदेय स्थल पर पहुंचना पड़ा। जिसके बाद ही उनकी बेटी का वोट डल सका। महिलाओं ने ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिसकर्मियों पर जान बूझकर वोट डालने से रोकने का आरोप भी लगाया। 

समीर चौधरी/रियाज़ अहमद।

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