देवबंद में ईद के मौके पर हुआ मुशायरा, शायरों ने कलाम पेश कर बांधा समां।

देवबंद: ईद उल फितर के अवसर पर साहित्यिक संस्था जहान-ए-अदब ने मुशायरे का आयोजन किया। इसमें शायरों ने सुंदर कलाम सुनाकर श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी।

मोहल्ला बैरून कोटला स्थित उर्दू घर में हुए कार्यक्रम का उद्घाटन समाजसेवी मसरूर ठेकेदार ने किया। मुशायरे में शायर शमीम किरतपुरी ने कुछ यूं कहा ‘जो बन संवर के कहीं हम जरा निकल आते, कदम कदम पे वहां दिलरुबा निकल आते’ दिलशाद खुशतर का अंदाजे बयां कुछ यूं था
‘गैर के घर तो किया तुमने उजाला जाकर, मेरी दुनिया भी थी बेनूर तुम्हें क्या मालूम’ तनवीर अजमल के इस शेर ‘तुझे क्या मिला सितमगर मुझे बेकरार करके, पत्थर सा बन गया हूं तेरा इंतजार करके’ ने श्रोताओं की जमकर दाद बटोरी। अदनान अनवर ने पढ़ा ‘मोहब्बत से जो देखे मां की सूरत, समझ लो तिलावत हो रही है’ रजी उस्मानी का यह शेर ‘कभी मुझसे तो मां का दिल दुखाया जा नहीं सकता, हैं अहसान उसके इतने के गिनाया जा नहीं सकता’ श्रोताओं को खूब भाया। इनके अलावा सरवर साबरी, सूफी कमरुज्जमां व नफीस खान ने भी अपने कलाम पेश किए। मोहम्मद अनस, नसीर अहमद, ओवैस सिद्दीकी, नबील उस्मानी, आसिफ साबरी, मोहम्मद इसरार, नदीम अहमद, उस्मान कुरैशी मौजूद रहे।

समीर चौधरी/महताब आज़ाद।

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