नफरत परोसने वाले एंकरो को हटा कर उन पर कार्रवाई की जाए, सुप्रीम कोर्ट ने नफरत फैलाने वाले कार्यक्रमों को लेकर मीडिया को लगाई फटकार।

(शिब्ली रामपुरी)
कुछ टीवी चैनलों पर नफरत भरे कार्यक्रम दिखाए जाने के बाद अब सिर्फ कुछ राजनीतिक दलों के नेता ही मीडिया पर नहीं बरसते बल्कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने भी मीडिया को बड़ी फटकार लगाते हुए काफी कुछ नसीहत की और यहां तक कहा कि नफरत फैलाने वाले चैनलों के एंकरो पर कार्रवाई होनी चाहिए. अदालत ने यहां तक कहा कि एंकर की जिम्मेदारी है कि वह नफरत भरी भाषा बोलने वाले को तत्काल रोके।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चैनल एजेंडे से प्रेरित होते हैं और कंपटीशन की वजह से खबरों को सनसनीखेज बनाते हैं वह समाज में विभाजन पैदा करते हैं आपत्तिजनक एंकरो को हटा दिया जाना चाहिए और उन चैनलों पर भारी जुर्माना भी लगाया जाना चाहिए.जो प्रोग्राम कोड का उल्लंघन कर रहे हैं. अदालत ने समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण और केंद्र सरकार से पूछा कि वह ऐसे प्रसारणो को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह भी पूछा कि इस मामले में सरकार मूकदर्शक क्यों बनी हुई है?

यह पहली बार नहीं है कि जब अदालतों द्वारा मीडिया को नफरत फैलाने की वजह से फटकार लगाई गई हो और साथ में नसीहत भी की गई हो. इससे पहले भी कई बार अदालतों द्वारा समय-समय पर मीडिया के गलत दृष्टिकोण को लेकर नाराजगी जताई जाती रही है।
कुछ दिन पहले भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने दिल्ली में एक भाषण के दौरान मीडिया पर हर समय हिंदू-मुस्लिम हिंदू-मुस्लिम करने जैसे आरोप भी लगाए थे. उनके बाद भाजपा के नेता और सांसद वरुण गांधी की ओर से भी मीडिया पर नाराजगी जताई गई थी और कहां गया था कि मीडिया असल मुद्दे नहीं उठाता और वो धर्म और जात पात की बातें करने में लगा रहता है।
यदि हम इस बात पर गौर व फिक्र करें कि आज मीडिया को लेकर इस तरह के सवाल क्यों खड़े हो रहे हैं तो इसकी वजह यही सामने आती है कि आज के समय में टीआरपी की होड़ में कई मशहूर टीवी चैनल हिंदू मुस्लिम के नाम पर ऐसे ऐसे कार्यक्रम परोसते हैं जो वाकई ही शर्मनाक होते हैं. जिनको देखकर दिल और दिमाग यह सोचने पर मजबूर होता है कि यह कैसी पत्रकारिता है?
ऐसा नहीं है कि कुछ मीडिया चैनल अच्छी खबरें नहीं परोसते लेकिन यह एक कड़वी हकीकत है कि अधिकतर मीडिया चैनलों ने टीआरपी के चक्कर में पत्रकारिता के मूल उसूलों से हटकर अपना कार्य करना शुरू कर दिया है यही वजह है कि उनको लगातार नाराजगी का सामना भी किसी ना किसी तरह से करना पड़ रहा है।

मीडिया को लेकर जिस तरह से नाराजगी का माहौल बन रहा है उस नाराजगी को देखते हुए मीडिया के अंदर से ही सुधार किए जाने की जरूरत है. मीडिया में जो लोग यह सोचते हैं कि वह हिंदू मुस्लिम -हिंदू मुस्लिम -के नाम पर टीआरपी की दौड़ में आगे निकल सकते हैं तो उनको यह सोचना होगा कि सबकुछ टीआरपी नहीं होती मीडिया का जो मूल उद्देश्य है उससे किसी भी तरह से भटका नहीं जाना चाहिए।

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