बजाहिर हाथ में है फूल उसके, मगर खंजर भी जेरे आस्तीं है....युवा शायर सुहैल आतिर के सम्मान में मुशायरे का आयोजन।

देवबंद: उर्दू अरबी संस्था चिराग-ए-अदब के बैनर तले युवा शायर सुहैल आतिर के सम्मान में मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें शायरों ने उम्दा कलाम पेश कर देर रात्रि तक श्रोताओं की जमकर दाद बटोरी। 
ईदगाह रोड स्थित महमूद हाल में आयोजित मुशायरे का उद्घाटन समाजसेवी सैयद हारिस ने फीता काटकर जबकि आईआईए के चेयरमैन जर्रार बेग ने शमा रोशन कर किया। शुरुआत अब्दुल्ला राज की नात-ए-पाक से हुई। इसके उपरांत सोनभद्र से आए शायर मो.हसन ने कुछ यूं कहा..किसी मछली को पानी से निकालो, मेरी चाहत का अंदाजा लगा लो। शम्स देवबंदी ने पढ़ा..हवाएं धमकियां देने लगी हैं, जरुरी है सर्रे दीवार रहना। अब्दुल्ला राज ने कहा..बजाहिर हाथ में है फूल उसके, मगर खंजर भी जेरे आस्तीं है। बदरुद्दीन जिया नहटोरी ने कुछ यूं कहा..अब नजर से खिताब होने लगे, यानी हम कामयाब होने लगे। पुरकाजी से आए शायर अमजद अहमद ने पढ़ा..बच्चों की कलाबाजियां बंदर का नचाना, गुरबत ये तमाशा सरे बाजार करे है। मेहमान शायर सुहैल आतिर ने कहा..जल्दबाजी से काम मत लेना, नाम सब के पुकारे जाएंगे सुनाकर जमकर दाद बटोरी। 

अध्यक्षता देहरादून से आए मेहमान इनाम रमजी ने जबकि संचालन अंसार सिद्दीकी कैरानवी ने किया। इसमें ओसाफ सिद्दीकी, मौलाना शाह आलम, शमीम अंसारी, अशफाक उल्ला खान, आरिफ कुरैशी आदि मौजूद रहे। अंत में संयोजक और मशहूर शायर शम्स देवबंदी ने सभी का आभार जताया।

समीर चौधरी।

महताब आज़ाद।

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