ये पत्रकारिता है कोई खेल नहीं, निष्पक्षता ना हो तो उठ जाता है भरोसा।

(शिब्ली रामपुरी)
पत्रकारिता में निष्पक्षता का होना बेहद आवश्यक है और जनता भी उन्हीं पत्रकारों या मीडिया संस्थानों पर भरोसा करती है कि जो निष्पक्ष रूप से जनता के सामने सरकार से लेकर अवाम तक की बात रखते हैं।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि वर्तमान समय में पत्रकारिता में निष्पक्षता का काफी अभाव देखने को मिल रहा है. निष्पक्षता से पत्रकारिता करने वाले कई मशहूर पत्रकारों को जहां अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा तो वहीं कई पत्रकार जब अपनी खुद्दारी से समझौता नहीं कर सके तो फिर उन्होंने नौकरी छोड़ना ही बेहतर समझा।
 वर्तमान समय में हम देखते हैं कि किस तरह से मीडिया के प्रति युवाओं में एक आकर्षण है और युवाओं की एक बड़ी संख्या किसी ना किसी रूप में पत्रकारिता से जुड़ना चाहती है चाहे फिर वह प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया.
 वैसे तो आज के समय में सबसे ज्यादा क्रेज़ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का है और पत्रकारिता किसी भी रूप में हो वह एक पवित्र कार्य है लेकिन जब बड़े-बड़े मशहूर चैनलों पर होने वाली डिबेट में एंकर एक तरफ की बात करने लगते हैं तो जनता को बेहद अफसोस होता है. दिल और दिमाग यह सोचने पर मजबूर होता है कि आखिर यह सब क्या हो रहा है ये सब कुछ हो सकता है लेकिन इसे पत्रकारिता तो बिल्कुल नहीं कहा जा सकता आदि विचार हर एक सभ्य व्यक्ति के जेहन में आते हैं।
 पत्रकारिता जगत में भी आज सुधार की बहुत जरूरत है और निष्पक्षता को कायम रखने के लिए पत्रकारिता जगत से ही इसकी शुरुआत करनी होगी. इस क्षेत्र में युवाओं का तेजी से बढ़ता आकर्षण बुरा नहीं है लेकिन जरूरी है कि वह पत्रकारिता के नियमों को भलीभांति समझते हुए इस क्षेत्र में कदम रखें और जनता जो उम्मीद एक पत्रकार से करती है उस पर खरा उतरने का हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए।

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