देवबंद: उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के चेयरमैन चौधरी कैफुल वरा ने दारुल उलूम देवबंद पहुंचकर संस्था के जिम्मेदारों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने योगी सरकार द्वारा उर्दू भाषा के उत्थान के लिए किए जाने वाले कार्यो के संबंध में चर्चा की।
बुधवार को देवबंद पहुंचे उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के चेयरमैन चौधरी कैफुल वरा ने दारुल उलूम देवबंद के मेहमान खाने में पहुंचकर संस्था के नायब मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी और सदरूल मुदर्रिसीन व जमीयत प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी से मुलाकात की। इस दौरान उर्दू भाषा और अल्पसंख्यक समाज के कल्याण सहित देश की मौजूदा परिस्थितियों पर चर्चा की गई।
चेयरमैन उर्दू एकेडमी ने बताया कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार उर्दू भाषा के उत्थान के लिए लगातार काम कर रही है, बसपा सरकार में उर्दू एकेडमी में ताला लगा रहा लेकिन योगी सरकार ने उर्दू एकेडमी के बजट को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि उर्दू एकेडमी की आईएस स्टडी सेंटर की सीटों को भी योगी सरकार द्वारा बढ़ाया गया है।
चौधरी कैफूल वरा ने कहा कि उर्दू के उत्थान में मदरसों की अहम भूमिका है। उन्होंने यह भी कहा कि गैर सरकारी मदरसे गैरकानूनी नहीं है, लेकिन अगर गैर सरकारी मदरसों को कोई आपत्ति है तो वह लिखित रूप से दें उसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाया जायेगा।
इस दौरान मौलाना अरशद मदनी ने देश में बढत नफरत के माहौल पर अफसोस जताया और कहा कि हमारे बुजुर्गों ने इस देश को आजाद कराने में मुख्य भूमिका निभाई है लेकिन वह ऐसा माहौल नहीं चाहते थे, बल्कि उन्होंने नफरत से पाक एक सेकुलर स्टेट बनाने का सपना देखा था, जिसको प्रोपेगेंड के तहत नुकसान पहुंचाया जा रहा है। मौलाना मदनी ने बताया कि देश की आजादी में दारुल उलूम देवबंद और उलेमा की मुख्य भूमिका है।
इस के बाद चेयरमैन उर्दू एकेडमी ने दारुल उलूम देवबंद की लाइब्रेरी, मस्जिद रशीद और सभी प्रमुख स्थानों को देखकर खुशी जताई और कहा कि दारुल उलूम देवबंद एक अजीम शिक्षण संस्थान है। उन्होंने बताया कि उनकी ये संस्था में उलेमा से शिष्टाचार भेंट थी।
इस दौरान डॉक्टर अशरफ, मौलाना अब्दुल मलिक, अशरफ उस्मानी, मौलाना शहजाद कासमी और कातिब मंसूर आदि रहे।
रिजवान सलमानी/समीर चौधरी।
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