देवबंद:करवा चौथ का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया गया। पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाओं ने दिनभर व्रत रखा। शाम को चंद्रमा को अध्र्य देने के बाद ही व्रत खोला गया।
करवा चौथ पर्व मनाने के लिए सुहागिन महिलाएं पिछले कई दिनों से खरीदारी में जुटी हुई थी। महिलाओं ने अपने लिए सोने-चांदी के आभूषण, चप्पल, कपड़े और कॉस्मेटिक के सामानों की जमकर खरीदारी की।
बृहस्पतिवार को महिलाओं ने व्रत रख दोपहर में बुजुर्ग महिलाओं से करवा चौथ की कथा सुनी। किदवंती है कि एक साहूकार के 7 लड़के और एक लडकी थी। सेठानी सहित उसकी बहुओं व बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात में साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा। इस पर बहन ने जवाब दिया भाई अभी चांद नहीं निकला है। उसके निकलने पर अध्र्य देकर भोजन करूंगी।
बहन की बात सुनकर भाइयों ने नगर से बाहर जाकर अग्नि जला दी और छलनी लाकर उसमें प्रकाश दिखाते हुए बहन से कहा चांद निकल आया है। अध्र्य देकर भोजन कर लो। तब बहन ने अपनी भाभियों से कहा कि आओ तुम भी चंद्रमा को अध्र्य दे लो। परंतु वे इस कांड को जानती थी। भाभियों द्वारा दिखाए गए प्रकाश को ही अध्र्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार व्रत भंग करने से गणेश जी उस पर अप्रसन्न हो गए। इसके बात उसका पति बीमार हो गया। जब उसे अपने किए दोषों का पता लगा तो उसने पश्चाताप किया। तब गणेश जी उस पर प्रसन्न हो गए तथा उसके पति को जीवन दान देकर आरोग्य करने के पश्चात धन संपत्ति से युक्त कर दिया।
रिर्पोट: रियाज़ अहमद।
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