बज्म-ए-उर्दू अदब के बैनर तले हुआ ऑल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मेलन, शायरों और कवियों ने शानदार कलाम सुनाकर लूटी वाहवाही।

बज्म-ए-उर्दू अदब के बैनर तले हुआ ऑल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मेलन, शायरों और कवियों ने शानदार कलाम सुनाकर लूटी वाहवाही।
देवबंद: आजादी के 75वें अमृत महोत्व पर बज्म-ए-उर्दू अदब के बैनर तले ऑल इंडिया मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें शायरों और कवियों ने शानदार कलाम सुनाकर देर रात्रि तक श्रोताओँ से जमकर वाहवाही लूटी। 
रविवार की रात्रि मंगलौर पुलिस चौकी स्थित एक बैंक्वट हाल में आयोजित मुशायरे का उद्घाटन गन्ना समिति के पूर्व चेयरमैन दिलशाद गौड ने फीता काटकर जबकि समाजसेवी नौशाद कुरैशी ने शमा रोशन कर दिया। इसके उपरांत शायर अरशद जिया ने कुछ यूं पढ़ा..फुटपाथ पर गुजार दी फिर जिंदगी तमाम, घर से नहीं थे दिल से निकाले हुए थे हम। इकबाल आजर ने कहा..तेरा जलवा जो पाए खुद से भी अनजाना हो जाए, तू जिसको इक नजर देखे तेरा दीवाना हो जाए। युवा शायर अब्दुल्ला राज ने कुछ यूं कहा..करते नहीं मांगे हुए लुकमो पे गुजारा, हम अहले हुनर अहले हुनर अहले हुनर हैं। गुलरेज अली ने कहा..हर आंख में समंदर दिखाई देता है,मुझे तबाही का मंज़र दिखाई देता है। प्रसिद्ध शायर महेंद्र अश्क ने दिल के जज्बातों को बयां करते हुए कहा..जंग है जंग में रिश्ते नहीं देखे जाते, हाथ कांपेगे तो तलवार भी गिर जाएगी। एजाज अंसारी दहेलवी ने कहा..अजीब हाल है इस दौर की सियासत का, यहां चराग ज्यादा हैं रोशनी कम है सुनाकर वाहवाही लूटी। इनके अलावा मनोज शाश्वत, आरिफ देवासी, चांद फटाफट, वसीम, साहिल माधवपुरी, इकरा नूर, सरिता जैन ने भी कलाम पेश किया। अध्यक्ष महेंद्र अश्क व संचालन हसनैन दिलकश ने किया। इसमें कारी नौशाद, औसाफ सिद्दीकी, शहजाद कासमी, नदीम अनवर, राशिद कलाम आदि मौजूद रहे। अंत में मुशायरा संयोजक जावेद आसी ने सभी का आभार जताया। 

समीर चौधरी।
महताब आज़ाद।

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