मदरसों के सर्वे का विरोध! देवबंद के रेती चौक पर आयोजित मदरसों के जिम्मेदारों की बैठक में बोले उलेमा- "मदरसों में दखलअंदाजी को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता"।
देवबंद: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा मदरसों के सर्वे कराए जाने के निर्णय को लेकर जमीयत उलेमा की देवबंद इकाई द्वारा मोहल्ला रेती चौक स्थित मुगलों वाली मस्जिद में मदरसों के जिम्मेदारों की एक अहम बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें क्षेत्र के करीब 78 मदरसों के संचालक शामिल हुए। इस दौरान कहा गया कि मदरसों ने हमेशा देश हित में काम किया है और जब भी देश को जरूरत हुई है तो मदरसे के लोग सबसे पहले आगे आए हैं लेकिन इस समय मदरसों को धर्म के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है जो असंवैधानिक है, जिस का हम विरोध करते हैं।
इस अवसर पर दारुल उलूम देवबंद के नायब मोहतमिम मुफ्ती राशिद आज़मी ने कहा मदरसों का निजाम देश की खुशहाली के लिए है और इसको हम कभी टूटने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि मदरसों की असल स्थापना देश की आजादी के लिए हुई थी, देश की आजादी में उलेमा और मदरसे वालों ने मुख्य भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि देश के लिए मदरसों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है, आज एक बार फिर मदरस को निशाना बनाया जा रहा है लेकिन हम इन्हें बचाने के लिए आखिर तक संघर्ष करेंगे। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों से डरने की कतई जरूरत नहीं है, क्योंकि मदरसे संवैधानिक दायरे में चल रहे हैं, हमें संविधान के अनुसार मिले अधिकारों के तहत अपनी लड़ाई लड़नी है।
दारुल उलूम जकरिया देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती शरीफ खान कासमी ने इस्लामी शिक्षा और मदरसों के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि मदरसों ने हमेशा अमन, शांति, भाईचारे और एकता का संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि मदरसों के संबंध में सरकारों को एक पक्षी फैसले करने से पहले इनके इतिहास को जानना चाहिए।
जामिया तुश शेख हुसैन अहमद मदनी देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुजम्मिल अली कासमी ने कहा कि जमीयत उलेमा ए हिंद और सभी बड़े उलेमा हमें मदरसों के हिसाब किताब को साफ सुथरा रखने और पारदर्शिता बरतने का आह्वान कर रहे हैं, इसलिए मदरसों की जिम्मेदारी है कि अगर उनके अंदर कोई कमी है तो उसको दूर किया जाए और संवैधानिक तरीके से शिक्षण कार्य करना चाहिए, क्योंकि संविधान ने हमें धार्मिक शिक्षा देने का पूरा अधिकार दिया है।
जमीयत उलमा ए हिंद के जिलाध्यक्ष मौलाना जहूर अहमद कासमी ने कहा कि जमीयत उलमा ए हिंद पिछले 100 सालों से देश और मुसलमानों के अधिकारों लिए संघर्ष कर रही है, इसलिए इस समय भी हमें जमीयत उलमा हिंद के रहनुमाओं द्वारा दिए गए मार्गों पर चलकर मदरसों की सुरक्षा के संबंध में काम करना चाहिए।
मौलाना असद हक्कानी सहारनपुर ने मदरसों के विकास के लिए 12 सूत्रीय कार्यक्रम पेश किया और कहा कि हमें मदरसों को विकसित करने के लिए इस पर अमल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सफाई इस्लाम धर्म का महत्वपूर्ण अंग है इसलिए मदरसों में सफाई व्यवस्था को बेहतर से बेहतर बनाया जाना चाहिए, साथ ही उन्होंने क्लासरूम, हॉस्टल, बाथरूम सहित मदरसा परिसर को साफ सुथरा रखने का आह्वान किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मौलाना अमजद मदनी ने कहा कि मदरसे ब्रिटिश काल के समय से देश के लिए कुर्बानियां दे रहे हैं इसलिए सरकारों को समझना चाहिए कि मदरसे संवैधानिक दायरे में काम कर रहे हैं और इनको टारगेट नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मदरसे ना तो असंवैधानिक काम करते हैं और ना ही ऐसा करने वालों का समर्थन करते हैं, लेकिन जिस तरह एक पक्षी तौर पर मदरसों को टारगेट किया जा रहा है वह कबूल नहीं किया जा सकता।
इनके अलावा मौलाना अहमद साद, मौलाना हबीब अहसनी और कार्यक्रम के आयोजक मौलाना मुफ्ती खादिम हुसैन ने भी मदरसों की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए सरकार द्वारा की जा रही दखल अंदाजी का विरोध किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मौलाना अमजद मदनी ने की और संचालन मुफ्ती खादिम हुसैन कासमी ने किया। इस दौरान जमीअत उलमा हिंद के नगर अध्यक्ष हाजी यासीन, मौलाना मसूद अहमद कासमी, मौलाना मसरूर कासमी, मुहम्मद आरिफ, मौलाना मुहम्मद इमरान कासमी, मौलाना मुहम्मद गुल नवाज कासमी, मुफ्ती मुहम्मद जफरुल्लाह कासमी, मौलाना मुहम्मद मुजफ्फर कासमी, मौलाना कारी गुलफाम, हाफिज गुलफाम, मौलानाना राशिद कासमी, कारी मुहम्मद बाबर, कारी महद मुबीन, सदरुद्दीन अंसारी आदि सहित काफी संख्या में लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम संयोजक मुफ्ती खादिम हुसैन ने सभी मेहमानों का आभार जताया।
समीर चौधरी/रियाज़ अहमद।
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