ईद उल अज़हा पर साफ़-सफ़ाई का ख़्याल रखें और प्रतिबंधित जानवरों की कुरबानी ना करेंः कारी इसहाक गोरा की अपील।

ईद उल अज़हा पर साफ़-सफ़ाई का ख़्याल रखें और प्रतिबंधित जानवरों की कुरबानी ना करेंः कारी इसहाक गोरा की अपील।
देवबंदः  ईद उल अज़हा की मुबारकबाद देते हुए जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध आलिम ए दीन मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने तमाम ऐहले वतन से अपील की है कि ईद उल अज़हा के मौक़े पर साफ़ सफ़ाई का ख़्याल रखें,इस्लाम में सफ़ाई की बड़ी ऐहमियत है, साफ़ सफ़ाई इस्लाम की पहचान है, खुद शरीयत ने सफ़ाई और पाकीज़गी की तलकीन की है। शरीयत की रोशनी में क़ुर्बानी का ऐहतमाम करें और किसी भी प्रतिबंधित जानवर की कुरबानी ना करें। हमारा मुल्क अलग अलग धर्म के मानने वालों का खूबसूरत मुल्क है ऐसे किसी मवेशी की कुरबानी ना हो जिससे किसी के धर्म की भावना आहत होती हो।इस बात का भी ख़्याल रखा ज़ाये कि कुरबानी खुले में करने से बचें और कुरबानी होते वक़्त वीडियो ना बनायें और उसको सोशल मीडिया पर अपलोड ना करें। मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने कहा कि ईद उल अज़हा का त्योहार सुन्नत ए इब्राहिम है और इस्लाम में इसका बहुत महत्व है। यह त्योहार हमें अपने देश व इंसानियत की रक्षा के लिए डटे रहने का संदेश देता है, साथ ही यह त्योहार त्याग और बलिदान का जज़्बा पैदा करता है। ईद उल अज़हा की ख़ुशियाँ मनाने वाले लोगों को इस बात का ख़्याल रखना चाहिए उनके किसी अमल से उनके पड़ोसियों या किसी व्यक्तियों को तकलीफ़ नहीं पहुँचे सबसे मिलकर और सदभाव के साथ त्योहार की ख़ुशियाँ बाँटें।
गोरा ने कहा कि ग़रीबों को क़ुर्बानी का गोश्त ज़रूर दीजिए जो शरीयत में मज़हबी हुकुम है। गोरा ने बताया कि क़ुर्बानी करना सिर्फ़ किसी जानवर को ज़िबाह कर देने का नाम नहीं है, देश ही नहीं विश्व में आज भी बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें एक वक़त का खाना नसीब नहीं होता ऐसे लोगों को क़ुर्बानी का गोश्त देना फ़र्ज़ है।

समीर चौधरी/महताब आज़ाद।

Post a Comment

0 Comments

देश