पहली बार बनी कोई आदिवासी महिला देश के सबसे उच्च पद की उम्मीदवार, जानिए कौन है एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू।

पहली बार बनी कोई आदिवासी महिला देश के सबसे उच्च पद की उम्मीदवार, जानिए कौन है एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू।
नई दिल्ली: विपक्ष द्वारा यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद मंगलवार की देर शाम एनडीए (NDA) ने भी अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए द्वारा एक बार फिर अपने ऐलान से सभी को चकित कर दिया और एनडीए ने देश के सबसे उच्च पद के लिए एक आदिवासी महिला को चुना है, यह पहला मौका है जब किसी आदिवासी महिला को देश के इस सबसे उच्च पद के लिए उम्मीदवार बनाया गया है। अगर द्रौपदी मुर्मू (Draupdi Murmu) देश की राष्ट्रपति बनती हैं तो वह पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी।
राष्ट्रपति चुनाव में उनका मुकाबला विपक्ष के उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) से होना है। 21 जुलाई को इस बात का फैसला हो जाएगा कि राष्ट्रपति के पद पर द्रौपदी मुर्मू आसीन होंगी या यह कुर्सी यशवंत सिन्हा को मिलेगी।
अगर द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनती हैं तो कई रिकॉर्ड बनेंगे, जैसे- वह देश ही पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी, ओडिशा से भी पहली और देश की दूसरी महिला राष्ट्र्रपति होंगी, इतना ही नहीं द्रौपदी मुर्मू साल 2000 में गठन के बाद से पांच साल का कार्यकाल (2015-2021) पूरा करने वाली झारखंड की पहली राज्यपाल हैं।
20 जून 1958 को ओडिशा में एक साधारण संथाल आदिवासी परिवार में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू का जीवन संघर्षभरा रहा है, गरीबी से जूझते हुए और पिछड़े क्षेत्र में रहते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की. द्रौपदी मुर्मू ने भुवनेश्वर के रामादेवी महिला कॉलेज से बीए किया. पति स्व. श्याम चरन मुर्मु के निधन के बाद बेटी इतिश्री मुर्मु की परवरिश की और राजनीतिक कॅरियर भी संभाला।
अपने तंगहाली भरे जीवन से द्रौपदी मुर्मू ने सीख ली और तय किया कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को शिक्षित किया जाए. इसलिए उन्होंने रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में पढ़ाना शुरू किया वो भी बिना वेतन के।

1997: द्रौपदी मुर्मू के राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत रायरंगपुर NAC के वाइस-चेयरमैन के तौर पर हुई, इसके बाद 1997 भाजपा के राज्य ST मोर्चा की वाइस प्रेसिडेंट बनीं।
2000-2004: ओडिशा की रायरंगपुर विधानसभा सीट से विधायक बनीं और स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनीं, 2000-2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार और 6 अगस्त, 2002 से मई तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री थीं।
2004-2009: द्रौपदी मुर्मू दोबारा विधायक बनीं, 2007 में इन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक होने का नीलकंठ अवॉर्ड दिया गया।
2010-2013: भाजपा ने इन्हें मयूरभंज (पश्चिम) से जिलाअध्यक्ष बनाया. 2013 में इन्हें दोबारा जिलाअध्यक्ष बनाया गया। 2013-2015: भाजपा ने इन्हें अनुसूचित जनजाति मोर्चा का नेशनल एग्जीक्यूटिव बनाया।
2015-2021:यह साल ऐतिहासिक रहा क्योंकि द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की पहली आदिवासी और महिला राज्यपाल बनीं।

झारखंड की राज्यपाल बनने के साथ ही द्रौपदी मुर्मू ने देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल होने का कीर्तिमान स्थापित किया था। झारखंड के राज्यपाल के तौर पर कुल 6 साल एक महीने और 18 दिन का उनका कार्यकाल निर्विवाद रहा था. झारखंड के प्रथम नागरिक और विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति के रूप में उनकी पारी यादगार रही. कार्यकाल पूरा होने के बाद वह 12 जुलाई 2021 को झारखंड से राजभवन से उड़ीसा के रायरंगपुर स्थित अपने गांव के लिए रवाना हुई थीं और इन दिनों वहीं प्रवास कर रही हैं। 

Post a Comment

0 Comments

देश