अग्निपथ योजना: योगी और शिवराज मामा के लिए अग्निपरीक्षा, चलेगा बुलडोजर या फिर होगा डैमेज कंट्रोल?

अग्निपथ योजना: योगी और शिवराज मामा के लिए अग्निपरीक्षा, चलेगा बुलडोजर या फिर होगा डैमेज कंट्रोल?
केंद्र सरकार ने 4 साल के लिए सेना में युवाओं को भर्ती करने के लिये अग्निपथ योजना निकाली मगर दांव उल्टा पड़ता नज़र आ रहा है, जहां बिहार में इस योजना का सबसे ज़्यादा उग्र विरोध हो रहा है वहीं उत्तर प्रदेश मध्यप्रदेश राजस्थान समेत कई प्रदेशों में युवा शक्ति आंदोलित हो चुकी है और सड़कों पर बढ़चढ़ कर आंदोलन कर रही है,कई ट्रेनों में आग लगाकर उनको स्वाहा कर दिया गया वहीं बहुत सारी ट्रेनों में तोड़फोड़ की गई है, सरकारी संपत्ति को बड़ा नुकसान पहुंचाया गया है बसों में तोड़फोड़ कर उनको आग के हवाले कर दिया गया है और हज़ारों की तादाद में युवक नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे को जाम कर मनमानी कर रहे है।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने काफ़ी लंबे समय से अपना स्टैंड क्लियर किया हुवा है कि जो भी उपद्रव करेगा सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाएगा उनको सख्त धाराओं में जेल भेजा जाएगा उनपर एनएसए जैसी संगीन धाराओं के तहत कार्येवाही की जाएगी और उनके घरों पर बुलडोजर चलाया जाएगा,वहीं सरकारी संपत्ति के नुकसान की भरपाई भी बवालियों की संपत्ति कुर्क कर उनसे वसूलने के आदेश दिए हुवे हैं बवालियों और उपद्रवियों के पोस्टर भी शहर भर की सड़कों और सार्वजनिक जगहों पर लगाये गए हैं जिनसे पहचान कर उनको उनके किये की सज़ा दी जा सके,वहीं मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी योगी आदित्यनाथ के नक्शे कदम पर चलते हुवे बुलडोजर का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं और वहां पर भी अपराधियो के घरों पर बुलडोजर चलाया गया है और ऐसे कथित पत्थरबाज़ों के घरों को भी तोड़ा गया जिनके दोनो हाथ ही नही हैं,पत्थरबाज़ों और अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चलाये जाने की पूरी छूट दिए जाने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का नाम ही मध्यप्रदेश में बुलडोजर मामा पड़ गया है और अपराधी मध्यप्रदेश में भी बुलडोजर मामा से खौफ़ खाते हैं,अग्निपथ योजना का विरोध उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में बड़े पैमाने पर हो रहा है और अब तक सैंकड़ो करोड़ की सरकारी गैरसरकारी संपत्ति तबाह कर दी गई है जनता दहशत में आ गई है और सार्वजनिक जीवन भी अस्त व्यस्त हो गया है।
असल चुनौती अब योगी आदित्यनाथ के सामने यही है कि किया वो और उनकी सरकार इन तमाम युवकों पर जो सरेआम उपद्रव कर रहे हैं सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं ट्रेनों और बसों को आग के हवाले कर रहे हैं इन सबपर वही सब संगीन धाराएं लगाकर जेल भेजेगी जो कानपुर प्रयागराज और सहारनपुर के जुलूस निकाल रहे युवकों पर लगाई गई है,किया उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इन तमाम युवकों पर भी एनएसए की कार्यवाही करेगी और किया इन सबके घरों पर भी उसी पारदर्शिता से बुलडोजर चलाया जाएगा जिस तरह से प्रयागराज कानपुर और सहारनपुर में चलाया गया है,किया मध्यप्रदेश की बुलडोजर मामा की सरकार भी अपने उसी वादे पर कायम रहेगी जो उसने अपने प्रदेश के लोगो से किया था कि अपराधियों पर कार्येवाही करने में किसी का धर्म जात बिरादरी नही देखी जाएगी और बुलडोजर ईमानदारी से अपना काम करेगा,अक्सर मामलों में योगी आदित्यनाथ का रुख सबके लिए बराबर नज़र आता रहा है मगर असल परीक्षा की घड़ी तो अब आई है जब नूपुर शर्मा के आपत्तिजनक बयान के बाद एक समुदाय के युवकों द्वारा निकाले गए जुलूसों और कुछ जगह पथराव के बाद योगी सरकार का सख्त रुख देखने को मिला लेकिन अब सवाल ये है कि अग्निपथ योजना के बाद उत्तर प्रदेश में जो हिंसा तोड़फोड़ और आगजनी दिखाई दे रही है वो उससे भी कहीं ज़्यादा है,जिस उत्तर प्रदेश पुलिस पर जुलूसों के दौरान युवकों पर गोली चलाने जे आरोप लगे हैं और दो नवयुवकों की मौत भी हुई है वही उत्तर प्रदेश पुलिस अब अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे युवाओ के सामने बेबस नज़र आ रही है कुछ जगहों पर पुलिस के साथ भी युवाओ की झड़पें हुई हैं टप्पल में एक पुलिस अधिकारी के ज़ख्मी होने की भी खबर है मगर पुलिस अपने उस आक्रामक चिपरिचित रुख से अलग कियूं नज़र आ रही है,पुलिस कार्येवाही करती नज़र कियूं नही आ रही उसका ये रूख हैरान करने वाला है।
बहरहाल योगी आदित्यनाथ और शिवराज मामा की सख्त साख का मामला है और देश प्रदेश के लोग देखना चाहते हैं कि दोनो सरकारों का रुख किया रहता है, दंगाइयों और बलवाइयों पर वही सब कार्येवाही होगी जो अबसे पहले जुलूस निकाल रहे और पत्थरबाज़ों पर की गई,इन सब बवालियों के पोस्टर भी सार्वजनिक जगहों पर पहचान के लिए लगाये जायेंगे या नही और सरकारी गैर सरकारी संपत्तियों के नुकसान पर इनकी पर्सनल संपत्तियां नीलाम कर भरपाई होगी और इनके घरों पर बुलडोजर चलेगा या फिर स्टार्ट ही नही हो पायेगा या फिर इस मामले में दोनो सरकारों का रुख कुछ अलग होगा,दोनो प्रदेशो की जनता अब कानून सबके लिए बराबर वाली स्थिति देखना चाहती है।

फैसल खान (वरिष्ठ पत्रकार)

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