दारुल उलूम देवबंद की कार्यसमिति की बैठक कई महत्वपूर्ण निर्णयों के साथ संपन्न, संस्था की समस्याओं को लेकर किया गया गहन मंथन।

दारुल उलूम देवबंद की कार्यसमिति की बैठक कई महत्वपूर्ण निर्णयों के साथ संपन्न, संस्था की समस्याओं को लेकर किया गया गहन मंथन।
देवबंद: विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद की एक दिवसीय कार्यसमिति (मजलिस ए आमला) की बैठक आयोजित हुई, बैठक में नए दखलों को मंजूरी दी गई, साथ ही शिक्षा, निर्माण और संस्था के विकास के संबंध में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
सोमवार की सुबह से संस्था के गेस्ट हाउस में दो चरणों में आयोजित बैठक में पिछली कार्यवाही की समीक्षा की गई। इस दौरान शिक्षा, अकाउंट और तंजीम व तरक्की सहित सभी विभागों के विभागीय अध्यक्षों ने अपनी अपनी रिपोर्ट पेश की, जिस पर सदस्यों ने संतुष्टि जताई।
इस दौरान नए दाखलों को मंजूरी दी गई साथ ही मौजूदा परिस्थितियों पर चर्चा करते हुए संस्था के बजट, शिक्षा और बिजली व निर्माण सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गई। बताया जा रहा है कि संस्था के सामने इस समय कई समस्याएं हैं जिसको लेकर भी कार्यसमिति के सदस्यों ने गहन मंथन किया।
इस दौरान पिछली शूरा में पास प्रस्ताव की समीक्षा की गई। जिसमें खासतौर पर मुफ्ती सैयद सलमान मंसूरपुरी की दारुल उलूम देवबंद में बतौर उस्ताद नियुक्ति, मौलाना हुसैन अहमद हरद्वारी का शिक्षा विभाग का प्रभारी बनाए जाने और कर्मचारियों के वेतन वृद्धि संबंधि कई प्रस्ताव शामिल थे। कोविड महामारी के चलते पिछले दो सालों से संस्था में नए दाखले नहीं हुए थे, 15 को मार्च में आयोजित हुई शूरा की बैठक में नए दाखिले दिए जाने को हरी झंडी दी गई थी, जिसके बाद इस वर्ष संस्था में करीब ढाई हजार नए छात्रों को प्रवेश दिया गया जिनको कार्यसमिति की बैठक में मंजूरी दी गई।
बैठक में दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी, सदर उल मुदर्रीसीन मौलाना सैयद अरशद मदनी, मौलाना रहमतुल्लाह कश्मीरी, विधायक मौलाना इस्माइल मालेगांव, मौलाना अनवर-उर-रहमान बिजनौरी और मौलाना महमूद राजस्थानी शामिल हुए जबकि सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल, मौलाना इब्राहिम मद्रासी और मौलाना अब्दुल अलीम फारुकी बैठक में शामिल नहीं हुए।

समीर चौधरी।

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