जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने किया जहांगीरपुरी के दंगा प्रभावित इलाके का दौरा, मौलाना महमूद मदनी ने घटना को बताया कानून-व्यवस्था की विफलता।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने किया जहांगीरपुरी के दंगा प्रभावित इलाके का दौरा, मौलाना महमूद मदनी ने घटना को बताया कानून-व्यवस्था की विफलता।
नई दिल्ली: दिल्ली के जहांगीर पुरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने इसे कानून-व्यवस्था की विफलता करार दिया और पूरी घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है। मौलाना मदनी ने कहा कि जांच एजेंसियां को ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए और मूल मामले की तह तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही उन लोगों और समूहों की धरपकड़ की जरूरत है जो भड़काऊ नारे लगाते रहे और गैर कानूनी तरीके से हथियारों का प्रदर्शन करते रहे। जहांगीरपुरी में सुबह से ही यह सभी गतिविधियां चल रही थीं, फिर भी पुलिस प्रशासन की लापरवाही और धार्मिक जुलूस में शामिल अराजक तत्वों पर काबू पाने में नाकामी निंदनीय है। 
गौरतलब है कि मौलाना मदनी के निर्देश पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट मोहम्मद नूरुल्लाह के नेतृत्व में मंगलवार को जहांगीरपुरी पहुंचा और प्रभावित मस्जिद के इमाम साहब और सी ब्लॉक में रहने वाले जिम्मेदार लोगों से मुलाकात करके स्थिति को समझने की कोशिश की। प्रतिनिधिमंडल में उनके साथ जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मुख्यालय से मौलाना अज़ीमुल्लाह सिद्दीकी कासमी, मौलाना ग़य्यूर अहमद कासमी, कारी सईद अहमद और हाई कोर्ट के एडवोकेट अब्दुल गफ्फार शामिल थे। 
प्रतिनिधिमंडल ने मस्जिद के इमाम मौलाना शाहिद उस्मानी, स्थानीय नागरिक खलील अहमद, शेख अब्दुल कादिर, मोहम्मद जहांगीर, मौलाना रमजान से विस्तृत तरीके से दिनभर की घटनाओं की जानकारी ली। इन लोगों ने बताया कि शाम छह बजे से पहले दो बार मस्जिद के सामने भीड़ आई। जिम्मेदारों के कहने पर उनका रूट बदल दिया गया। जब शाम में छह बजे तीसरी बार धार्मिक जुलूस हुसैन चौक होते हुए यहां पहुंचा तो ज्यादा उग्र हो गया। इसमें शामिल असमाजिक तत्वों ने मुसलमानों के खिलाफ नारे लगाए। विशेषकर ‘‘देश में रहना होगा, जय श्रीराम कहना होगा’’। लोगों ने हाथ जोड़कर उनको यहां से जाने के लिए कहा तो और अड़ गए और तलवार निकाल लिया जिसके बाद दोनों तरफ से पथराव हुआ। बाद में पुलिस आ गई और दोनों पक्षों की भीड़ के बीच में खड़ी हो गई। स्थानीय लोगों से जब पूछा गया कि क्या भीड़ मस्जिद में झंडा लगाना चाह रही थी तो उन्होंने कहा कि कुछ लोग मस्जिद के गेट पर झंडा लगाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वह असफल रहे।  
इस दौरान जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने उन परिवारों से भी मुलाकात की जिनको पुलिस ने इस मामले से जोड़ कर गिरफ्तार कर लिया है। इनमें क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता अंसार अहमद की पत्नी से भी मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि उनके पति निर्दोष हैं और हिंदू-मुसलमान सभी के लिए भलाई के काम और सामाजिक कार्य करते हैं। उस दिन भी वह लोगों को समझाने गए थे। वह बहुत डरी हुई थीं और कह रही थीं कि उनको आशंका है कि पुलिस कहीं उनके 17 वर्षीय बेटे सोहैल को भी परेशान न करे। स्थानीय लोगों ने जमीयत प्रतिनिधिमंडल को 14 लोगों की सूची और उनके आधार कार्ड दिए जिनको गिरफ्तार किया गया है। उनके रिश्तेदारों ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद से न्याय दिलाने की गुहार लगाई है। इस सम्बंध में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के कानूनी मामलों के जिम्मेदार एडवोकेट और मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद पूरी ताकत से उनका केस लड़ेगी। जमीयत उलेमा-ए-हिंद पहले से ही 2020 के दिल्ली दंगों के केस लड़ रही है जिनमें से 503 मामलों में जमानत दिलाने में सफल रही है जबकि 160 केस ट्रायल पर लड़ रही है। 

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