ओआईसी की बैठक में चीन ने कहा हम मुस्लिम देशों के साथ काम करने को तैयार, इस्लामोफोबिया, फलस्तीन और अफगानिस्तान जैसे मुद्दों पर चर्चा।

ओआईसी की बैठक में चीन ने कहा हम मुस्लिम देशों के साथ काम करने को तैयार, इस्लामोफोबिया, फलस्तीन और अफगानिस्तान जैसे मुद्दों पर चर्चा।
नई दिल्ली/इस्लामाबाद: 57 इस्लामी देशों के सहयोग संगठन OIC का 48वा अधिवेशन पाकिस्तान के इस्लामाबाद में चल रहा है। जिसमें इस्लामोफोबिया, आतंवाद, फलस्तीन, कश्मीर और अफगानिस्तान जैसे मामलों पर इस्लामी देशों ने एकजुटता दिखाते हुए अपनी बात रखी, साथ ही इस दौरान मुख्य अतिथि के रुप में शामिल चीन ने भी इस्लामिक देशों के साथ काम करने की बात कही।
दो दिवसीय बैठक मगंलवार से शुरू हो हुई, उद्घाटन करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कथित रूप से बढ़ते इस्लामोफोबिया और आतंकवाद की बात की है। उन्होंने सदस्य देशों से सवाल किया कि इस्लाम की तुलना आतंकवाद से क्यों की गई? अपने संबोधन में इमरान खान ने कश्मीर मामले पर भी टिप्पणी की। इस सम्मेलन में 57 इस्लामी देशों के विदेश मंत्रियों से इमरान ख़ान ने कहा कि दुनिया में इस्लामोफ़ोबिया फैलाने के लिए कुछ हद तक मुसलमान भी ज़िम्मेदार हैं।
इमरान ख़ान ने कहा, ''दुनिया में धारणा बन गई है कि इस्लाम के कई रूप हैं। आप जैसे ही कहते हैं कि हम नरम मुसलमान हैं. उसका मतलब ये हुआ कि आप चरमपंथ को स्वीकार कर लेते हैं।'
ओआईसी का यह सम्मेलन ऐसे वक़्त हो रहा है, जब इमरान ख़ान की सरकार का सत्ता में टिके रहना कठिन हो गया है। विपक्ष का आरोप है कि प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने देश की अर्थव्यवस्था और विदेश नीति को ख़राब तरीक़े से चलाया है।
उनकी सरकार के ख़िलाफ़ संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव पेश हो सकता है। अगले हफ़्ते इसे लेकर वोट डाले जा सकते हैं।
ओआईसी की मौजूदा बैठक का थीम 'एकता, न्याय और विकास के लिए साझेदारी का निर्माण' रखा गया है। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, इस बैठक में 100 से ज़्यादा प्रस्तावों को मंज़ूरी मिल सकती है। बैठक में पारित होने वाले अहम प्रस्तावों में वित्तीय संकट से जूझ रहे अफ़ग़ानिस्तान के लिए आर्थिक मदद जुटाना और फ़लीस्तीन व कश्मीर को समर्थन देने का वादा दोहराना है।।इस बैठक की ख़ासियत यह है कि इसमें पहली बार चीन मेहमान के तौर पर शिरक़त कर रहा है।
हालांकि पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में 10 लाख से अधिक वीगर और अन्य तुर्क-भाषी मुसलमानों को तथाकथित 'राजनीतिक पुनर्शिक्षा शिविरों' में नज़रबंद रखने के लिए चीन की दुनिया में काफ़ी आलोचना होती रही है।
इस सम्मेलन में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, ''चीन और इस्लामी देशों ने दोस्ताना सहअस्तित्च और सभ्यताओं के अंतर के बाद भी दोतरफ़ा सहयोग के रास्ते खोजे हैं, जो नए राजनयिक रिश्तों के लिए एक मॉडल है।'' चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि उनका देश इस्लामिक देशों के साथ मिलकर काम करने को तैयार है। वांग यी ने भी अपने संबोधन में कश्मीर और फ़लस्तीन का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि चीन कश्मीर और फ़लस्तीन के मुद्दे पर मुस्लिम जगत की आकांक्षाओं को साझा करता है। उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में दीर्घकालिक स्थिरता और शांति के लिए चीन की इच्छा को दोहराया। चीन के विदेश मंत्री ने ये भी जानकारी दी कि उनका देश मुस्लिम देशों में 600 परियोजाओं पर 400 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि चीन इस्लामिक देशों को कोरोना वैक्सीन की 30 करोड़ डोज़ उपलब्ध कराएगा।
ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कश्मीर और फ़लस्तीन का ज़िक्र किया और कहा कि यहाँ की जनता हम पर भरोसा नहीं करती. उन्होंने मुस्लिम देशों का ज़िक्र करते हुए कहा कि हम वहाँ की जनता के सामने नाकाम हुए हैं. सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने भी कश्मीर विवाद के न्यायसंगत समाधान की वकालत की।

बीबीसी हिंदी के इनपुट्स के साथ।

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