उसको मजदूर क्यों बनाते हो, वो जो बच्चा किताब मांगे है, बज्म-ए-अदब के बैनर तले हुआ मुशायरे का आयोजन।

उसको मजदूर क्यों बनाते हो, वो जो बच्चा किताब मांगे है, बज्म-ए-अदब के बैनर तले हुआ मुशायरे का आयोजन।
देवबंद: बज्म-ए-अदब के बैनर तले मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें शायरों ने देर रात्रि तक कलाम सुना श्रोताओं से जमकर वाहवाही लूटी। 

मोहल्ला बड़जियाउलहक स्थित मौलाना अब्दुल कादिर के आवास पर आयोजित हुए मुशायरे की शुरुआत नूर देवबंदी की नात-ए-पाक से हुई। 
इसके उपरांत डा. शमीम देवबंदी ने पढ़ा..उसको मजदूर क्यों बनाते हो, वो जो बच्चा किताब मांगे है। जकी अंजुम ने कहा..कितना सस्ता है मियां शेर-ओ-सुखन का सौदा, जिसको देखो वही उस्ताद बना बैठा है। चांद देवबंदी ने कुछ यूं कहा..इसकी खुराक खून है यह इश्क है मियां, जलता नहीं चिराग ये सरसों के तेल से।
डा. सादिक ने पढ़ा..मुझे उसका तकल्लुफ ये हमेशा याद आता है, वो कहता था मेरी खातिर जमाना छोड़ सकता है। तनवीर अजमल ने कुछ यूं पढ़ा..क्या खबर थी परदेसी इस तरह से जाएगा, दे गया मोहब्बत में गम हजार आंखों को। डा. अदनान अनवर ने कहा..मजबूरी-ए-हालत का तूफान बहुत है, रह जाए अगर बाकी मेरी आन बहुत है सुनाकर जमकर दाद बटोरी।

इनके अलावा डा. सलमान दिलकश, नूर देवबंदी ने भी कलाम सुनाया। अध्यक्षता डा. शमीम व संचालन जकी अंजुम ने किया। इसमें उमर गजाली, हसीम सिद्दीकी, इमदादुल्ला, माईज, डा. उसामा अनवार, अब्दुल बारी आदि मौजूद रहे। अंत में संयोजक डा. एसए अजीज ने सभी का आभार जताया।  

समीर चौधरी।

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