समान नागरिक संहिता संविधान विरोधी, सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से लड़ा जाएगा हिजाब केस, देश और मुस्लिम समाज के विभिन्न मुद्दों पर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की बैठक में चर्चा।

समान नागरिक संहिता संविधान विरोधी, सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से लड़ा जाएगा हिजाब केस, देश और मुस्लिम समाज के विभिन्न मुद्दों पर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की बैठक में चर्चा।
लखनऊ: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में सामान नागरिक संहिता और हिजाब जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई, साथ ही बोर्ड ने हिजाब के मामले पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर असंतुष्टि जताते हुए हुए सुप्रीम कोर्ट में पूरी मजबूती के साथ इस मामले को रखने की बात कही और उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट से अच्छा नतीजा आएगा। साथ ही सामान नागरिक संहिता को देश के संविधान के विरोधी बताते हुए कहा कि मुसलमान ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न समुदाय के लोग इसका विरोध कर रहे हैं।
रविवार को लखनऊ के मशहूर तालिमी इदारे दारुल उलूम नदवातुल उलेमा (नदवा कालेज) में बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद मोहम्मद राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में आयोजित मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की कार्यकारिणी की एक दिवसीय बैठक में समाज और देश के कई मुद्दों पर देश भर से जुटे उलेमा ने सर जोड़कर विचार किया, साथ ही मुसलमानों से अपील की गई कि समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दे को वह सिर्फ अपने लिए मसला ना बनाएं क्योंकि यह देश के संविधान के खिलाफ है और देश के विभिन्न समुदाय के लोग भी इसका विरोध कर रहे हैं।
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने हिजाब विवाद पर कहा कि संविधान ने देश के सभी नागरिकों को अपनी पसंद का लिबास पहनने की व्यक्तिगत स्वतंत्रता दी है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब विवाद पर फैसला सुनाते हुए संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19, 21 और 26 के प्राविधानों को नजरअंदाज किया है। लिहाजा बोर्ड को कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। बैठक में यह उम्मीद जतायी गई कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलेगी। देश के कई राज्यों के स्कूलों में सूर्य नमस्कार को अनिवार्य करने, गीता और अन्य धार्मिक पुस्तके पढ़ाने पर कड़ी आपत्ति जताई गई और मांग की गई कि स्कूलों को संविधान के अनुकूल चलाया जाना चाहिए।

बैठक में एक सुझाव यह भी दिया गया कि बोर्ड राज्य, मंडल और जिला स्तर पर संयोजक नियुक्त करे लेकिन इस पर फैसला नहीं हो पाया। कहा गया कि इसके बारे में बोर्ड के अध्यक्ष और महासचिव फैसला करेंगे। अलबत्ता यह मशविरा भी दिया गया कि बोर्ड अपने सदस्यों को जिम्मेदारी दे कि वे अपने क्षेत्रों में सक्रिय रहें।
बैठक में बोर्ड के महासचिव खालिद सैफुल्लाह रहमानी, कार्यकारी सदस्य मौलाना सैयद अरशद मदनी, मौलाना मोहम्मद सूफियान कासमी, मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, मौलाना सैयदातुल्लाह हुसैनी रहमानी, मौलाना महफूज उमरैन रहमानी, मौलाना अनीसुर्रहमान, डा.कासिम रसूल इलियास, कमाल फारुकी, डा.असमां जेहरा, निकहत परवीन आदि मौजूद रहे।

समीर चौधरी।

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