पूर्व डीआईजी व सपा के कद्दावर नेता और विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन का निधन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जताया शोक।

पूर्व डीआईजी व सपा के कद्दावर नेता और विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन का निधन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जताया शोक।
लखनऊ: यूपी विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मंत्री अहमद हसन का लंबी बीमारी के चलते शनिवार की दोपहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया है। वह 88 वर्ष के थे।
1960 से नौकरी में आने के बाद हमेशा से उनके दरवाजे पर बत्ती लगी गाड़ी मौजूद रही, नौकरी के समय जहां उनके पास नीली बत्ती की गाड़ी रही वही डीआईजी से सेवानिवृत होने के बाद सेे उनके पास लगभग हमेशा से लाल बत्ती गाड़ी मौजूद रही। 
अहमद हसन के निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी ने गहरा दुख प्रकट किया है।
कौन थे अहमद हसन।
अहमद हसन मूलतः अंबेडकर नगर के रहने वाले थे, वह सपा के कद्दावर नेताओं में शमिल थे, विधान परिषद में नेता विरोधी दल अहमद हसन अंसारी पांच बार एमएलसी रह चुके हैं। सपा की सरकार में वह स्वास्थ्य व शिक्षा मंत्री भी रह चुके थे। राजनीति में आने से पहले अहमद हसन वरिष्ठ पुलिस अधिकारी थे। सार्वजनिक सेवाओं में छह दशक के लंबे करियर के साथ, उनकी ईमानदार सार्वजनिक और सामाजिक सेवाओं के लिए उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा वीरता पदक, राष्ट्रपति द्वारा भारतीय पुलिस पदक, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सांप्रदायिक और सामाजिक सद्भाव के लिए सराहनीय पुलिस पदक दिया गया है।
अहमद हसन का जन्म 2 जनवरी 1934 को उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले में हुआ था। उनके पिता मौलाना मोहम्मद यूसुफ जलालपुरी एक बहुत सम्मानित धार्मिक विद्वान और एक समृद्ध व्यवसायी थे। अपने पिता के संरक्षण में अहमद हसन हमेशा से पढ़ाई में होशियार थे हाई स्कूल और इंटरमीडिएट प्रथम श्रेणी में पास करने के बाद में वे कानून की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय गए और बीए एलएलबी की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। जिसके बाद उन्होंने सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने UPSC परीक्षा को सफलतापूर्वक पास कर लिया और 1958 में भारतीय पुलिस सेवा में चयनित हो गए। उनका पहला आधिकारिक प्रभार 1960 में लखनऊ के पुलिस उपाधीक्षक (DSP) के रूप में था।
एक पुलिस अधिकारी के रूप में, वह अपनी निडरता और साहसिक नेतृत्व के प्रदर्शन के लिए जाने जाते थे। उन्होंने कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत की और कई अपराधियों की कुख्यात गतिविधियों को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया। उदाहरण के लिए 1967 में एटा के डीएसपी के रूप में उन्होंने खूंखार डकैत चबूराम का सफाया किया और उसके सभी साथियों को गिरफ्तार कर लिया। असाधारण वीरता के इस कार्य के लिए अहमद हसन को राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया।
उन्हें 1979 में विधानसभा और संसद चुनावों के दौरान एटा में पूर्ण कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मेधावी पुलिस पदक से भी सम्मानित किया गया था। उन्होंने पांच साल से अधिक समय तक बरेली में पुलिस 
उन्हें 1989 में डीआईजी रैंक में पदोन्नत किया गया था और पुलिस बल में 30 से अधिक वर्षों तक शानदार सेवा देने के बाद 1992 में सेवानिवृत्त हुए। 
पुलिस सेवा से अहमद हसन की सेवानिवृत्ति उन्हें समाज के वंचितों की सेवा करने के अपने मिशन को पूरा करने से नहीं रोक सकी। वह मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विचारधारा से प्रभावित थे। 1994 में अहमद हसन समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए काम करना जारी रखने के लिए समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। अपनी राजनीतिक क्षमता में उनको कई बार पदो से नवाजा गया।
अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग, 1994, विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान परिषद, 1997, 2003 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री, 2012 में कैबिनेट स्वास्थ्य मंत्री, उत्तर प्रदेश, कैबिनेट मंत्री बेसिक शिक्षा, उत्तर प्रदेश, 2015, वर्तमान में विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान परिषद।

समीर चौधरी/सालार गाजी 

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