आह: हसीब सिद्दीक़ी----आपकी बातें---आपकी यादें।

आह: हसीब सिद्दीक़ी----आपकी बातें---आपकी यादें।
इंसानी जिंदगी अपनी इब्तदा से इंतहा तक अगर हारी है---तो वो है मौत---अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने वाज़ेह तौर पर कलाम अल्लाह में"कुल्लू नफिसिन जायक़ा तूल मौत"का पैग़ाम सुना दिया है।इसलिए इस तल्ख़ हक़ीक़त का सामना हर आदमी को करना है।इसके बावजूद हज़ार हा लोग अपने  नेक अमल,क़ुरबानी,अपने इल्म,हुनर,अपनी सोच,फिक्र,तक़वा,तहारत की वजह से अपनी मौत की लंबी मुद्दत के बावजूद दिलों में,फिक्र,अमल में जिंदा हैं---उन्हें लोग याद रखते हैं---याद करते हैं---क्यूंकि उन्होंने अपने वक़्त में,अपने समाज के लिए वो काम अंजाम दिए-----जिससे बड़ा तबक़ा हमेशा फ़ैज़ उठाता रहेगा।
9 जनवरी 2019 को सुबह 8 बजे----सर्दी के मौसम में जैसे ही सूरज ने आंख खोली---ऐसे देवबन्द की सियासी,समाजी,मज़हबी,अदबी,इक़तासादी---शख़्सियत ने हमेशा के लिए अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के तय शुदा वक़्त  व हुक्म के मुताबिक़ आंख बंद कर ली---जिन्हें सिर्फ हम ही नही---बल्कि पूरा हिंदुस्तान---हसीब सिद्दीक़ी के नाम से जानता है---हसीब साहब---देवबन्द की उसी ज़रख़ेज़ मिट्टी के फ़रज़न्द थे---जिसकी कोख ने हमेशा तारीख़ साज़ लोग पैदा किए ।हसीब साहब 1936 को देवबन्द के बा इज़्ज़त घराने में मरहूम मुंशी अज़ीज़ साहब के यहां पैदा हुए-----हसीब साहब की शख़्सियत को हम किसी एक खाने में क़ैद नही कर सकते---उन्होंने अपनी 82 साला ज़िंदगी  में जिस फील्ड में भी क़दम रक्खा---उसको मिट्टी से सोना बना दिया।
----बात ज़िंदगी के किसी भी शोबे की हो----हसीब सिद्दीक़ी----नायक की तरह उभर कर सामने आए----उसकी बड़ी वजह उनकी मेहनत,लगन, जुस्तुजू थी----उनकी ज़िंदगी मे बड़ी तादाद में लोगों ने उनके ज़ेरे साया कई इदारों में ख़िदमत अंजाम दी---मगर कोई भी आदमी उनसे कभी नाराज़ नही हुआ---और ना ही उनके अमल से उसने इदारे में काम करना छोड़ा।
-----हसीब साहब को आदमी की बड़ी पहचान थी----इसीलिए उनके  ज़ेरे निगरानी इदारों ने बड़ी तरक़्क़ी की।हसीब साहब के बड़ों से शैख़ उल इस्लाम हज़रत मौलाना हुसैन अहमद मदनी रह.के  घराने से बड़ी अक़ीदत और तअल्लुक़ का मामला रहा----उसको हर महाज़ पर हसीब साहब ने निभाया और आज भी उनके सभी साहबज़ादे इस अक़ीदत और रिश्ते को निभा रहे हैं।
--------अफसोस के आज हसीब साहब हमारे दरमियान मौजूद नही हैं---मगर उनके क़ायमकरदा इदारे---हज़ारों लोगों को फ़ैज़याब कर रहे हैं।जिनमे मुस्लिम फण्ड ट्रस्ट,मदनी आई हॉस्पिटल,मदनी ITI,पब्लिक गर्ल्स इंटर कॉलेज,मदनी ड्राइविंग सेंटर ख़ास हैं-----इसके अलावा वो बड़ी तादाद में इदारों से जुड़े रहे---उनकी सरपरस्ती की----जाने वाले कब लौटे हैं-------मगर उनके नेक अमल,शीरीं ज़बान,उनकी सोहबत,शफ़क़त---हमेशा दिलों में जिंदा रहेगी----💐
"वो कौन था जो मेरि ज़िंदगी के दफ्तर से----हुरूफ़ ले गया,ख़ाली किताब छोड़ गया"।अल्लाह दरजात बुलन्द करे...आमीन।

कमल देवबन्दी (वरिष्ठ लेखक एवं वक्ता)

Posted By: Sameer Chaudhary

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