सहारनपुर: लंबी उठापटक के बाद आखिरकार इमरान मसूद सपा में ही वापिस आ गए मगर ज़िले का तमाम अवाम इस बात पर हैरत में है कि उनको सपा सुप्रीमो ने जो बीती शाम दिया है वो तो पहले ही दिन से मिल रहा था फिर आखिर इतना झमेला इतना ड्रामा किसलिए किया गया भाई??
किया मसूद अख़्तर से पिंड छुड़ाना था किया साहिल खान के नकुड़ छेत्र में बढ़ते क़दम को रोक कर उसको ज़मीन पर लाना ही असल मकसद था जो कि अब क़रीब क़रीब पूरा होता दिखाई भी दे रहा है, मसूद अख्तर की छवि ज़िले में ईमानदार और भले इंसान की है जिसकी कार्येशेली पर किसी को कोई परेशानी कतई नही है तो फिर आखिर कियूं ऐसे भले इंसान को साइडलाइन किया गया ये सवाल गाड़ा बिरादरी के साथ साथ हर इंसान के जहन में है,मसूद अख्तर को अगर सपा से टिकट नही भी मिलता तो यकीनन वो जिलाध्यक्ष पद पर भी शायद मान जाते मगर किया जिलाध्यक्ष ऐसे शक्स को बनाना था जिसको सत्ता आने पर बड़े आराम से हटाया जा सकता हो कियूंकि राजनीतिक लोग इस बात को अच्छे से जानते हैं कि अगर सपा की सत्ता हो तो सपा का जिलाध्यक्ष सत्ता का मुख्य केंद्र होता है और वो जो चाहता है करता है तो किया अगर सत्ता आती है तो फिर जिलाध्यक्ष का पद ख़ुद के लिये रिज़र्व किया जायेगा?
नकुड़ सीट से पूर्व मंत्री शगुफ्ता खान के पुत्र साहिल खान सपा में रहकर कई साल से दिन रात मेहनत कर रहे थे कोरोना काल मे बड़ी तादाद में गरीबों तक राहत सामग्री पहुंचाई उनके दुख सुख में खड़े रहे सर्दियों में हज़ारों कम्बल बांटे और सपा सुप्रीमो तक उनके चर्चे पहुंचे मगर मंत्री धर्म सिंह सैनी सपा में आये और नकुड़ से उनको टिकट मिल गया,नकुड़ से साहिल खान को सपा से बागी कराकर बसपा में एंट्री करा दी गई और अब कुल मिलाकर ढाक के तीन पात,
ख़ैर राजनीति बड़ी जालिम और निष्ठुर होती है कब किया करा दे कोई यकीन से नही कह सकता और वही सब सहारनपुर की राजनीति में हो रहा है लेकिन ये अब तय है कि सहारनपुर जनपद की तकरीबन सीटों पर सपा भाजपा की डायरेक्ट फाइट होनी तय है और हाल फ़िलहाल इमरान मसूद के ताज़ा फेंसले से सपा भारी पड़ती दिखाई दे रही है मगर इन तमाम प्रकरण से आम आदमी का राजनीति से विश्वास कहीं न कहीं डगमगाया तो ज़रूर है।
फैसल खान (वरिष्ठ पत्रकार)
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