झारखंड विधानसभा में लिंचिंग के दोषियों के लिए मौत की सजा का क़ानून पास, गंभीर चोटों पर आजीवन कारावास, भाजपा ने किया विरोध।

झारखंड विधानसभा में लिंचिंग के दोषियों के लिए मौत की सजा का क़ानून पास, गंभीर चोटों पर आजीवन कारावास, भाजपा ने किया विरोध।
रांची: झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन राज्य में मॉब लिंचिंग पर लगाम लगाने के लिए मॉब लिंचिंग विरोधी बिल पास हो गया है।
मगंलवार को संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने सदन में विधेयक पेश किया। जिस पर वोटिंग हुई और ये बिल पास हो गया। इस बीच बीजेपी ने बिल पर बहस के दौरान हंगामा किया और बीजेपी विधायक वैल में पहुंच गए। उन्होंने सरकार पर कानून के तुष्टिकरण का भी आरोप लगाया। पार्टी के तीन विधायक अमर बरी, अमित मंडल और राम चंद्र चंद्र रौंशी ने भी संशोधन प्रस्ताव पेश किए लेकिन सभी खारिज कर दिए गए।
भाजपा विधायक अमित मंडल ने कहा कि सरकार का यह काला अध्याय पूरे झारखंड में लिखा जाना चाहिए। उन्होंने इसे तैयार करने वाले अधिकारियों की मंशा पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बिल में इंग्लिश का शब्द Mob का प्रयोग किया गया है और किस आधार पर दो लोगों को भीड़ के रूप में लिखा जाता है? सरकार को खुश करने के लिए यह आईएएस अधिकारियों की चाल है।

वहीं अमर बरी ने कहा कि एक खास वर्ग को खुश करने के लिए आदिवासी भाइयों को प्रताड़ित किया जा रहा है। यह झारखंड विरोधी बिल है। आरोपी पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है। लिंचिंग में अगर कोई घायल होता है तो दोषी को तीन साल कैद और एक लाख से तीन लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है।

वहीं अगर कोई गंभीर रूप से घायल होता है तो दोषी को दस साल कैद की सजा और तीन से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। यह कानून पश्चिम बंगाल में पहले से ही लागू है। अब यह कानून झारखंड में भी लागू किया जा रहा है। मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए राज्य सरकार ने झारखंड प्रिवेंशन ऑफ लंचिंग बिल का मसौदा तैयार किया है।
लिंचिंग का माहौल बनाने में अगर कोई सहयोग करता है तो ऐसे व्यक्ति को तीन साल की कैद और एक से तीन लाख तक के जुर्माने की सजा हो सकती है। यहां भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी और आपराधिक संहिता के तहत जांच के प्रावधानों का भी उल्लेख किया गया है। इस अधिनियम के तहत अपराध गैर-जमानती होंगे।

डीटी नेटवर्क

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