कौन बाक़ी रखेगा पद्मश्री विनोद दुआ की विरासत-----?

कौन बाक़ी रखेगा पद्मश्री विनोद दुआ की विरासत-----?
ज़िंदगी में एक बड़ी तादाद उन लोगों की होती है। जिनसे आप कभी मिलते नही। मगर उनके इल्म, अमल, हक़गोई आपको अपनी तरफ खींचती है। उन्ही लोगों में से एक विनोद दुआ थे।इस दौर में पत्रकार होना कमाल नही----ईमानदार होना कमाल है। आज सोशल मीडिया में जब कभी भी विनोद दुआ-----अपनी हाज़री दर्ज कराते तो-----सहज, सरल भाषा के साथ स्टीक आंकड़े और आम हिंदुस्तानी का दर्द ब्यान करते थे।

2014 के बाद राष्ट्रीय स्तर पर गिनती के पत्रकार हैं----जिन्होंने झुकना-टूटना नही सीखा और सच के परचम को बुलन्द रक्खा। वो निरंतर सरकार और उसकी कार्येशेली को निशाना बनाते रहे--------जो वर्तमान में जोखिम भरा था।

90 के दशक में उनसे मेरी अचानक संक्षिप्त भेंट मुज़फ्फरनगर में शिव जी मूर्ति पर नीरा टी स्टाल पर हुई थी-------यहां की चाय और असली घी के लड्डू का स्वाद सभी को अपनी ओर खींचता था (वर्तमान का पता नही---) विनोद दुआ की हमेशा के लिए रुख़सती-----एक सच्चे-हकपरस्त पत्रकार की रुख़सती है-----उनकी स्थापित करदा---रिवायात को कौन ज़िंदा रक्खेगा---बस यही प्रश्न हर भारतीय मज़लूम के लबों पर है।

कौन थे विनोद दुआ।
दिल्ली में 11 मार्च 1954 को जन्मे विनोद दुआ ने दूरदर्शन और एनडीटीवी सहित कई बड़े संस्थाओं में काम किया है।उन्होंने हंस राज कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में डिग्री प्राप्त की और दिल्ली विश्वविद्यालय से साहित्य में मास्टर डिग्री प्राप्त की। विनोद दुआ ने 1974 में दूरदर्शन के साथ अपने उज्ज्वल पत्रकारिता करियर की शुरुआत की थी 
विनोद दुआ को 1996 में प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका पत्रकारिता उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2008 में पत्रकारिता के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
जून 2020 में विनोद दुआ पर अपने YouTube कार्यक्रम, 'विनोद दुआ शो' पर कुछ 'आपत्तिजनक बयान' देने का आरोप लगाया गया था. बीजेपी नेता अजय श्याम की शिकायत के आधार पर उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। जिसे एक साल बाद, सुप्रीम कोर्ट ने 6 जून 2021 को  खारिज कर दिया था।

विचार: कमल देवबन्दी

Post a Comment

0 Comments

देश