नई दिल्ली: उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित 'धर्म संसद' के दौरान दिए गए विवादित बयानों के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी में दो और नाम जुड़ गए हैं। देश और दुनिया भर से कड़ी प्रतिक्रिया के बाद वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी के बाद उत्तराखंड पुलिस संत धर्मदास और साध्वी अन्नपूर्णा के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर लिया है।
बताया गया कि लगातार सामने आए वीडियो और सबूतों के आधार पर पुलिस एफआईआर में नाम बढ़ा रही है। हरिद्वार कोतवाली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए के तहत मामला दर्ज किया है। एफआईआर में नाम आने से संत समाज में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। संतों का कहना है कि वह जेल जाने पर वे सजा भुगतने को तैयार हैं।
जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी का कहना है, 'निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती जी और महामंडलेश्वर धर्मदास जी पर भी एफआईआर दर्ज हुई है. यह बहुत ही दुखद है. मुझे लगता है कि षड्यंत्रकारी वामपंथी और कांग्रेसियों के दबाव में सरकार आती जा रही है और सरकार सत्य के लिए लड़ने वालों को परेशान करना चाहती है. मैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से अनुरोध करूंगा कि वे इस अन्याय को न होने दें।'
हरिद्वार के एसपी सिटी शेखर सुयाल ने बताया कि कहा कि धर्म संसद अभद्र भाषण मामले में हमारे आईओ ने स्टडी करने के बाद दो और नाम प्राथमिकी में बढ़ाए हैं और बाकी आगे की कानूनी कार्यवाही जारी है. पुलिस अफसर ने जानकारी दी कि शुरू में वसीम रिजवी का नाम एफआईआर में था, बाकी अन्य हमारी इन्वेस्टिगेशन का हिस्सा बने और उनका नाम भी केस में जोड़ा गया. इसके अलावा, हमारा प्रयास है कि उन भड़काऊ भाषणों के वीडियोज को ज्यादा सर्कुलेट न होने दिया जाए, इसके लिए एजेंसियों से संपर्क कर प्रयास किए जा रहे हैं।
बता दें कि उत्तराखंड के हरिद्वार में बीते 17 से 19 दिसंबर को धर्म संसद का आयोजन हुआ था. जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी की अध्यक्षता में आयोजित इस धर्म संसद में साधु-संतों ने हिंदुत्व को लेकर विवादित और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हुए कई भाषण दिए।
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