दिलों पर हुकूमत करने वाले बेहतरीन फनकार और लीजेंड कॉमेडियन थे उमर शरीफ।

दिलों पर हुकूमत करने वाले बेहतरीन फनकार और लीजेंड कॉमेडियन थे उमर शरीफ।

फन और फनकारों से मोहब्बत करने वालों के लिए यह वाक़ई दिल दुखाने वाली ख़बर है कि पाकिस्तान के मशहूर इस स्टेज कॉमेडियन उमर शरीफ अब इस दुनिया में नहीं रहे।
 उमर शरीफ किसी एक आदमी का नाम नहीं है उमर शरीफ फन की दुनिया में अपने आप में एक मुकम्मल इनसाइक्लोपीडिया थे। जिसने तकरीबन 35 साल तक स्टेज और टीवी के जरिए लोगों के दिलों पर न सिर्फ हुकूमत की बल्कि उन्हें हंसना सिखाया और यह बताया कि आम जिंदगी के वाक़्यात से तनक़ीदऔर सबक के साथ-साथ मुस्कुराहट कैसे इकट्ठी किए जा सकती है।

शायद बात 1985 के आसपास की है जब पूरे हिंदुस्तान के अंदर वीसीआर का ज़ोर था हर शख्स वीसीआर पर हिंदुस्तानी फिल्में और पाकिस्तानी ड्रामा देखने में मसरूफ़ था। उस वक्त सरहद पार से उमर शरीफ के एक ड्रामे की कैसेट जिसका नाम "बकरा किस्तों पे" था हिंदुस्तान पहुंची और जिसने चंद दिनों में ही उमर शरीफ के हजारों चाहने वाले पैदा कर दिए ।इस ड्रामे में उमर शरीफ ने पाकिस्तान के उस सिस्टम पर तंज किया था ।जहां पर चंद गरीब लोग ईद उल अज़हा से पहले किस्तों पर बकरा बुक करते हैं और ठीक ईद उल अज़हा से पहले पार्टी गायब हो जाती है। यह एक सच्चे वाक़ए पर मबनी ड्रामा था। उसके बाद उमर शरीफ ने लगभग 50 के करीब स्टेज ड्रामे किए उनका हर ड्रामा पहले से ज्यादा कामयाब हुआ ।उनके ड्रामों में बहुत सी खूबियां थी।इसमे सबसे बड़ी खूबी यह थी कि वह आम आदमी की ज़बान में इस अंदाज से तंज़ किया करते थे कि लोग सबक़ के साथ-साथ खिलखिला कर हंसा भी करते थे।
उमर शरीफ ने आम आदमी के किरदार में सबसे ज्यादा हुकूमत को तनक़ीद का निशाना बनाया। उन्होंने सिस्टम पर लफ्जों के जरिए वार किए और आम आदमी के दुख दर्द को सामने रखा।
उमर शरीफ की सबसे बड़ी खूबी यह भी थी कि वह एक अदाकार के साथ बेहतरीन हिदायत कार और क़लमकार भी थे। इससे बढ़कर वह मिमिक्री भी शानदार किया करते थे ।उन्होंने पाकिस्तान के सभी आर्टिस्टो की मिमिक्री की। बहुत कम आर्टिस्ट दुनिया में इस तरह के होते हैं जो अदाकार, क़लमकार, हिदायत कार होने के साथ-साथ शानदार सिंगर और डांसर भी हों, उमर शरीफ ने स्टेज के ऊपर वह सब कुछ करके दिखाया कि उनके साथ काम करने वाले अदाकार हमेशा फीके पड़ जाया करते थे। उनके हुनर की दूसरी बड़ी ख़ूबी उनकी तवानाई और उनकी आवाज़ थी ।उन की आवाज़ के अंदर बला की खनक थी और वह अपनी आवाज़ किरदारों के साथ तब्दील करने में महारत रखा करते थे।
वह अपनी स्क्रिप्ट में और अपने किरदारों में बहुत आम जुमलों का इस्तेमाल किया करते थे।देखने से यह महसूस हुआ करता था यह बड़ी सड़क छाप जिंदगी गुज़ार कर यहां तक पहुंचा है और यह हकीकत भी थी दरअसल बचपन में उमर शरीफ के वालिद का इंतकाल हो गया था ।उमर शरीफ इस वाकए को भी बड़े मज़ाक के अंदाज़ में पेश किया करते थे और कहा करते थे के वालिद मोहतरम बग़ैर किसी इत्तला के हमे छोटा सा छोड़ कर चले गए और वापस भी नहीं आए।
उमर शरीफ को बचपन से ही कराची में ड्रामे देखने का शौक था। एक रोज़ हुआ यह के उमर शरीफ जब ड्रामा देखने पहुंचे तो एक अदाकार वहां पर नहीं आए वहां पर मौजूद एक साहब ने उस किरदार के लिए उमर शरीफ को पेश कर दिया ।यह मौका उन्हें क़ुदरत की जानिब से हासिल हुआ था और यहां से उमर शरीफ बगैर किसी इरादे और तैयारी के स्टेज पर ऐसे पहुंचे कि उन्होंने इस स्टेज कि दुनिया की नक़्शा ही बदल दिया और आज जो इज़्ज़त स्टेज के दुनिया के कलाकारों की है और जो मकबूलयत आज पूरी दुनिया के अंदर स्टैंड अप कॉमेडी की है दरअसल वह उमर शरीफ की देन है।
हिंदुस्तान के बहुत ज्यादा कारों ने उमर शरीफ के अंदाज को अपनाया कलम कारों ने उनके तर्ज़ को इस्तेमाल किया उनके जुमलों और लतीफों को फिल्मों के अंदर पेश किया ।कपिल शर्मा शो का मरकज़ी अंदाज़ भी कुछ उमर शरीफ के ड्रामों जैसा ही है।
मौत सबको आनी है आज 66 साल की उम्र में उमर शरीफ इस दुनिया से रुख़सत हो गए। इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजिऊं। मगर रहती दुनिया तक उनके अंदाज ,उनके जुमले ,उनकी अदाएं ,उनकी बातें सब के दिलों में रहेंगी और हंसने पर मजबूर करती रहेंगी ।
यह अफसोस रहेगा कि उम्र के आख़री हिस्से के अंदर उमर शरीफ न सिर्फ सख़्त बीमार हुए साथ ही घरेलू तनाव का शिकार भी रहे ।जिसकी वजह से उनकी तकलीफ में इज़ाफ़ा हुआ और वह शायद उसको बर्दाश्त न कर सके।

कमल देवबन्दी--(वरिष्ठ लेखक,विचारक)

Post a Comment

0 Comments

देश