ये ISIS के खूंखार आतंकियों या तालिबान की नहीं असम पुलिस और ज़हरीले प्रेस फोटोग्राफर की दरिंदगी?
इस गोलीबारी में दो लोगो के मारे जाने और कई लोगों के ज़ख्मी होने की खबरें हैं,पुलिसकर्मियों को अपराधियों को काबू में करने को भागते समय उनकी टांग में गोली मारने का अधिकार दिया गया है मगर इस मामले में पुलिस के सामने अपराधी नही बल्कि अपने मकान तोड़े जाने का विरोध कर रहे बुजुर्ग ग्रामीण थे उसके बावजूद उनके सीने में डायरेक्ट गोली मारी गई उनके शवों पर अंधाधुंध लाठियां बरसाई गई,पुलिस के साथ गया प्रेस फोटोग्राफर भी शवो पर लाठियां बरसाता रहा और उछल उछलकर उन गोली लगकर नीचे पड़े बुजुर्ग की गर्दन और छाती पर जबरदस्त छलांग लगा लगाकर कूदता रहा जिससे अगर उनके जिस्म में कोई सांस बाक़ी हो तो वो भी निकल जाए,वैसे तो मीडिया के काफ़ी लोग अब अपनी लेखनी और एंकरिंग से तकरीबन यही सब कर रहे हैं मगर जो इस प्रेस फोटोग्राफर ने किया उसकी मिसाल अभी तक के पत्रकारिता जगत में तो नही मिल पाएगी ये तो शायद पत्रकारिता के पतन की पराकाष्ठा थी,
बहरहाल अभी तक कि जानकारी के मुताबिक़ इस प्रेस फोटोग्राफर को गिरफ्तार कर लिया गया है पुलिस हिरासत में है मगर सोशल मीडिया पर वायरल इसके तमाम फोटो पुलिस प्रशासन पर इसका जलवा बखुबी ज़ाहिर करते हैं,अब ज़ाहिर बात है कि कोई ऐसी ख़तरनाक धारा तो इसपर मुश्किल ही लगाई जाएगी मगर उन पुलिसकर्मियों पर किया कार्येवाहि होगी जिन्होंने पुलिस का कर्तव्य और इक़बाल अपने बूटों के तले कुचल दिया है जिन्होंने तालिबान और ISIS के आंतकवादियो को भी ज़ुल्म में पीछे छोड़ दिया है,और रही बात उस ज़िले के कप्तान की तो जनाब उनके भाई मुख्यमंत्री हैं इसलिए उनपर तो शायद कोई कार्येवाहि मुमकिन ही नही,
बहरहाल ये वीडियो और ये वाकया हमारे देश हमारे देश के कानून और इंसानियत के साथ साथ पत्रकारिता के मुह पर भी करारा तमाचा है अब देखने वाली बात ये होगी कि इस मामले में किया कार्येवाहि होती है इंसाफ होगा या नही,या फिर ये मामला भी यहां हुवे बाक़ी सैंकड़ो मामलों की तरह मिट्टी में दफन कर दिया जाएगा।
फैसल खान-एडिटर यू पी 24 न्यूज़
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