धर्म के आधार पर होने वाली बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम रोक बरकरार, कहा भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश, धर्म के आधार पर चल रही बुलडोजर कार्रवाई, इसलिए हम SC गए: मौलाना अरशद मदनी, जमीयत की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी।

नई दिल्ली: देश के विभिन्न राज्यों में मुस्लिम संपत्तियों पर अवैध बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर याचिका पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने आज महत्वपूर्ण सुनवाई की ओर बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ पूरे देश के लिए दिशा निर्देश जारी होगा जो सभी नागरिकों के लिए होगा, पीठ ने कहा की भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है इसलिए हमारा फैसला सभी लोगों पर लागू होगा और हम किसी के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। कोर्ट ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, इसलिए धर्म के आधार पर किसी के भी खिलाफ अन्याय की इजाजत नहीं दी जा सकती। अदालत ने आगे कहा कि वह पूरे देश के लिए निर्देश जारी करने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग करेगी। पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है और फैसला आने तक बुलडोजर कार्रवाई पर रोक जारी रहेगी। अदालत ने आगे कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी मामले में आरोपी है या दोषी साबित हो गया है तो ऐसी विध्वंस कार्रवाई की अनुमति नहीं दी जाएगी। जस्टिस बीआर गोई और जस्टिस विश्वनाथन से जमीयत उलमा-ए-हिंद की और से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ.अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कोर्ट को जल्द से जल्द निर्देश जारी करना चाहिए क्योंकि कोर्ट के अंतरिम आदेश के बावजूद असम और गुजरात में बुलडोजर से तोड़फोड़ की गई है। डॉ.अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से आगे कहा कि उन्होंने अतीत में जो किया वह निंदनीय है लेकिन वर्तमान या भविष्य में ऐसा नहीं होना चाहिए जिसके लिए अदालत को निर्देश जारी करना होगा। वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने कहा की अदालत जो भी निर्देश जारी करेगी उसमे यह भी शामिल होना चाहिए कि विध्वंस से पहले नोटिस दिया जाये और नोटिस का जवाब देने का समय दें और नोटिस के निर्णय के बाद अपील दायर करने का अधिकार होगा । भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अदालत से आगे अनुरोध किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देश विभिन्न राज्यों में मौजूदा नगरपालिका कानून के साथ असंगत नहीं है। दो सदस्य पीठ ने तुषार मेहता को आश्वासन दिया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देश एक विशेष निर्देश होगा। जिसका फायदा किसी भी तरह के माफिया लोग नहीं उठा सकते । कोर्ट ने आगे कहा कि अवैध निर्माण के खिलाफ कानून समान रूप से लागू किया जाएगा, सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा की विध्वंस की कार्यवाही करने पहले रजिस्टर्ड पोस्ट से नोटिस या ऑनलाइन पोर्टल पर अपडेट किया जाना चाहिए ताकि जिस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जानी है उसे अदालत का दरवाजा खटखटाने का अवसर मिल सके । जस्टिस विश्वनाथन ने कहा की अचानक की जाने वाली बुलडोजर कार्रवाई से औरते बच्चे सड़कों पर रोते बिलगते आ जाते है ये दृश्य अच्छा नही होता हैं । जमीयत उलमा ए हिंद के अलावा वकील के अलावा वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े, वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद, वरिष्ठ वकील एम. आर. शमशाद ,अधिवक्ता प्रशांत भूषण, अधिवक्ता वृंदा गुरोरा, अधिवक्ता निज़ाम पाशा और अन्य उपस्थित हुए और अदालत को बुलडोजर कार्रवाई पर प्रतिबंध लगाने की सलाह दी, जिसमें अवैध बुलडोजर कार्रवाई का आदेश देने वाले अधिकारीयों के खिलाफ कार्रवाई और उनके वेतन ही से मुआवजा देना के साथ समर्थन में बयान देने वाले राजनीतिक लोगों पर की कार्रवाई वगैरा शामिल है। 
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर संतोष जताया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है, वही बात जमीयत उलमा-ए-हिंद शुरू से कहती रही है कि धर्म के आधार पर किसी के भी साथ दुर्व्यवहार अत्याचार नहीं होना चाहिए क्योंकि कानून की नजर में सभी बराबर हैं, उन्होंने कहा कि जब दुखद तथ्य सामने आने लगे की पक्षपात के आधार पर बुलडोजर चलाया जा रहा है और कानून की आड़ में एक विशेष संप्रदाय को निशाना बनाया जा रहा है,तो जमीयत उलमा-ए-हिंद को न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए मजबूर होना पड़ा,अदालत ने कहा कि यह एक धर्मनिरपेक्ष देश है, इसलिए धर्म के आधार पर किसी के साथ दुर्व्यवहार की इजाजत नहीं दी जा सकती। आशा है की अदालत का एक निर्णय होगा जो गरीबों और पीड़ितों के पक्ष में होगा, उन्होंने कहा की कल सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में बस्तियों को उजाड़ने पर असम सरकार को नोटिस भेजा है इससे यह उम्मीद हुई है की इंशा अल्लाह अदालत का कोई ऐसा फैसला आयेगा जो गरीबों पीड़ितो के हक में होगा। और जो साम्प्रदायिक लोग धर्म के आधार पर भेदभाव करते हैं और बिना परवाह किए बुलडोजर चलाने का आदेश देते हैं। 
जमीयत उलमा हिंद की ओर वरिष्ट अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी, सीयू सिंह, गौरव अग्रवाल आज अदालत में पेश हुए, जबकि सहायक वकील, एडवोकेट सारिम नवीद, एडवोकेट शाहिद नदीम, एडवोकेट दानियाल, एडवोकेट आरिफ अली, एडवोकेट मुजाहिद अहमद, एडवोकेट वासिफ रहमान खान और अन्य लोग आज अदालत में उपस्थित हुए। 

समीर चौधरी।

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