दिल्ली: (शिब्ली रामपुरी)कांग्रेस ने नफरत के खिलाफ मोहब्बत की दुकान खोलने और सबको साथ लेकर चलने का ऐलान कर रखा है लेकिन क्या हकीकत में ऐसा ही है कांग्रेस सबको लेकर साथ चल रही है?
अभी हाल ही में कांग्रेस ने तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में पहली लिस्ट जारी की है. जिसमें 229 लोगों के चुनावी मैदान में उतरने पर मोहर लग चुकी है. लेकिन इनमें सिर्फ पांच मुसलमानों को कांग्रेस ने चुनावी मैदान में उतारा है.
कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में 144 में सिर्फ़ एक मुस्लिम को टिकट दिया है और छत्तीसगढ़ में 30 में भी एक और तेलंगाना में 55 में तीन मुस्लिमों को चुनावी मैदान में उतारा है हालांकि चुनाव के लिए कांग्रेस की ओर से यह पहली लिस्ट जारी की गई है मगर सवाल उठ रहा है कि बाद की लिस्ट में क्या कांग्रेस आबादी के हिसाब से चुनावी मैदान में मुसलमानों को टिकट देगी।
भाजपा के खिलाफ लोकसभा चुनाव के लिए 28 विपक्षी पार्टियों ने एक गठबंधन इंडिया तैयार किया है जिसमें कांग्रेस सर्वेसर्वा नजर आती है और कांग्रेस बीजेपी पर मुसलमानों को नजरअंदाज करने के आरोप लगाती रही है लेकिन अब कांग्रेस खुद मुसलमान को नजरअंदाज करने पर उतर चुकी है और यह साफ नज़र आ रहा है. जहां तक भाजपा की बात है तो यूपी में कुछ समय पहले हुए निकाय चुनाव में भाजपा ने काफी मुसलमानों को चुनावी मैदान में टिकट देकर उतारा था और उनमें से कई कामयाब भी हुए थे और निकाय चुनाव में भाजपा को कई जगहों पर मुसलमानो के काफी वोट भी मिले थे.इससे साफ है कि भाजपा मुसलमानों के करीब आ रही है और कांग्रेस उनको नजरअंदाज कर रही है।
कांग्रेस की इसी नीयत पर एमआईएम अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी से लेकर कई नेता सवाल उठाते रहे हैं कि इनको मुसलमानो के वोट तो चाहिएं लेकिन मुसलमान को यह राजनीतिक तौर पर मजबूत होते नहीं देखना चाहते।
कांग्रेस द्वारा तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए जारी पहली लिस्ट पर सोशल मीडिया पर भी काफी लोग सवाल खड़े कर रहे हैं।
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