सभी कोशिशें नाकाम, एक नहीं होंगे जमीयत उलमा-ए-हिंद के दोनों गुट, जानिए मौलाना अरशद मदनी के बयान पर किया बोले मौलाना महमूद मदनी।

नई दिल्ल/देवबंद: मुसलमानों बड़े संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद के दोनों गुटों के विलय लिए पिछले लंबे समय से चल रहे सभी प्रयास विफल होते दिख रहे हैं। अब दोनों ओर इस संबंध में की जा रही कोशिशें भी अब नाकाम हो रही हैं।
मौलाना महमूद मदनी गुट के सचिव नियाज अहमद फारुकी की माने तो मौलाना अरशद मदनी ने विलय के उनके प्रस्ताव को स्वागत योग्य नहीं माना है। इसलिए एकीकृत को लेकर अपनाई जा रही प्रक्रिया को समाप्त कर दिया गया है। 

मंगलवार को महमूद मदनी गुट के सचिव नियाज अहमद फारूकी ने बताया कि जमीयत के विलय के संबंध में हमारी और से जो संदर्भ प्रस्तुत किया जा रहा उससे कहीं न कहीं यह धारणा बन रही है कि हमने समझौते की प्रक्रिया को एकतरफा समाप्त कर दिया है। यह धारणा सही नहीं है। कहा कि हमारे विरोधाभास, व्यक्तिगत और निजी समझौते या स्वार्थ पर आधरित नहीं है। हमारे लिए व्यक्ति से अधिक महत्व संगठन का सर्वोपरि होना और व्यक्तित्व पर सांगठनिक प्राथमिकता एकता और विलय के लिए संगठन की गरिमा को कुर्बान नहीं किया जा सकता और न ही जमीयत के लिए बलिदान देने वाले निष्ठावान कार्यकर्ताओं की सेवाओं की उपेक्षा  कि जा सकती है। इसके बिना एकता और विलय की कोई धारणा उपयोगी और प्रभावी नहीं हो सकती। बताया कि हमने अपनी इसी सोच के तहत यह प्रस्ताव दिया था कि हम मौलाना अरशद मदनी को एकीकृत जमीयत के पूर्ण अधिकृत अध्यक्ष के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। लेकिन मौलाना अरशद मदनी ने इस प्रस्ताव को स्वीकार योग्य नहीं समझा और न ही हमारे इस पक्ष को स्वीकार किया। 

वर्ष 2008 में जमीयत हुई थी दो फाड़।
मौलाना असद मदनी के इंतकाल के बाद देश के मुसलमानों का दुनिया में प्रतिनिधित्व करने वाली जमीयत उलमा-ए-हिंद वर्ष 2008 में दो फाड़ हो गई थी। एक गुट पर चाचा मौलाना अरशद मदनी का कब्जा हो गया और वे उसके अध्यक्ष बन गए। जबकि दूसरी जमीयत पर भतीजे पूर्व राज्यसभा सदस्य मौलाना महमूद मदनी काबिज हुए और उन्होंने दिवंगत मौलाना कारी मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी को अध्यक्ष बना दिया था। खुद संगठन में महासचिव बने थे। कारी उस्मान की मौत के बाद कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से मौलाना महमूद को अध्यक्ष चुन लिया था। संगठन के अलग होने के सात साल बाद यानी वर्ष 2015 से जमीयत के विलय के प्रयास शुरू हो गए थे। इसको लेकर जमीयत के दिल्ली स्थित मुख्यालय पर कई दौर की बैठकें भी हुईं। जिसमें विलय को लेकर विचार मंथन हुआ। दोनों जमीयतों के एक होने के प्रयास उस समय कारगर साबित होते नजर आए जब मौलाना महमूद की और से देवबंद में 29 मई 2022 को हुए प्रबंधन कमेटी के इजलास में मौलाना अरशद मदनी ने भाग लेते हुए विलय के प्रयासों का समर्थन किया। उसके बाद  4 जनवरी 2023 को मौलाना महमूद मदनी ने चाचा अरशद मदनी को पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने अपनी सभी खताओं के लिए माफी मांगी और सभी मतभेदों को भुलाकर विलय का प्रस्ताव रखा। इतना ही नहीं एकीकृत को लेकर महमूद मदनी गुट के 90 से अधिक पदाधिकारियों ने अपने इस्तीफे तक दे दिए थे। इस पूरे घटनाक्रम की पुष्टि नियाज अहमद फारुकी ने भी की है। 

अपनी जमीयत समाप्त नहीं करना चाहते मौलाना अरशद: सूत्र।
जमीयत के विलय को लेकर चल रहे प्रयासों के विफल होने को लेकर सूत्र बताते हैं कि मौलाना अरशद मदनी चाहते थे कि उनकी जमीयत ज्यों के त्यों बनी रही। दूसरे गुट के केवल दो ही लोग उनकी जमीयत में शामिल किए जाएंगे। लेकिन इस शर्त को मौलाना महमूद मदनी गुट ने मंजूर नहीं किया।  

समीर चौधरी।

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