यूपी निकाय चुनाव: अदालत के फैसले के बाद अब गेंद सरकार के पाले में।

(शिब्ली रामपुरी)
यूपी नगर निकाय चुनाव में आरक्षण के मामले को लेकर अदालत का बड़ा फैसला आने के बाद अब गेंद सरकार के पाले में है कि वह या तो ओबीसी आरक्षण के बगैर इलेक्शन कराए या फिर अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए ट्रिपल टेस्ट के लिए आयोग गठित किया जाए और उसकी सिफारिशों के आधार पर आरक्षण दिया जाए और फिर चुनाव कराया जाए।

 ऐसे में अगर सरकार ओबीसी आरक्षण के बगैर ही फैसला लेती है तो sc-st और सामान्य सीटों के आरक्षण के साथ चुनाव जनवरी में हो जायेंगे. वहीं अगर सरकार ट्रिपल टेस्ट कराती है और आयोग का गठन करती है तो फिर 31 जनवरी तक यह प्रक्रिया पूरी करनी होगी ऐसे में आयोग की अनुशंसा के साथ हर जिले में डीएम आरक्षण को लेकर अपनी सिफारिश भेजेंगे।
 जिसके बाद रिपोर्ट की सिफारिशों के मुताबिक ही हर जिले में नगर निगम नगर पालिका और नगर पंचायतों का आरक्षण तय होगा।

काबिले गौर है कि उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच का बड़ा फैसला आया है. इस पर राजनीतिक पार्टियों समेत सभी संभावित प्रत्याशियों की नजरें टिकी हुई थी।
 अदालत के फैसले में साफ तौर पर कहा गया है कि ओबीसी आरक्षण में ट्रिपल टेस्ट कराया जाए जब तक ट्रिपल टेस्ट ना हो तब तक अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के बगैर ही इलेक्शन कराए जाएं. अदालत ने सरकार को बड़ा झटका देते हुए स्पष्ट किया है कि जब तक ट्रिपल टेस्ट ना हो तब तक ओबीसी रिजर्वेशन नहीं दिया जा सकता है इसलिए अब गेंद सरकार के पाले में है कि वह क्या निर्णय लेती है।

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