इंडिया बुक के बाद एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ मिरगपुर का नाम, केंद्रीय मंत्री के हाथों मिला नशामुक्त गांव होने का प्रमाण पत्र।

देवबंद: नशा मुक्ति और सात्विक खानपान के लिए विशेष पहचान रखने वाले मिरगपुर गांव का नाम इंडिया बुक के बाद अब एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में में दर्ज हुआ है। सहारनपुर जिले के ऐतिहासिक एवं प्रसिद्ध नगर देवबंद से आठ किलोमीटर दूर मंगलौर रोड पर काली नदी के तट पर बसा यह गांव तामसिक एवं मादक पदार्थों से दूर है और अपने खास रहन-सहन और सात्विक खानपान के लिए विख्यात है। केंद्रीय शहरी आवासन एवं विकास राज्य मंत्री श्री कौशल किशोर ने एशिया बुक को ओर से जारी शुद्ध सात्विक गांव होने का प्रमाण पत्र ग्रामीणों को दिया।
बता दें कि करीब दस हजार की आबादी वाले मिरगपुर गांव का शुमार धूम्रपान रहित गांव की श्रेणी में है। इस गुर्जर बहुल गांव में किसी भी दुकान पर नशे का सामान नहीं बिकता है। लोग यहां के लोग मांस, मदिरा का सेवन और बीड़ी, सिगरेट अथवा अन्य धूम्रपान जैसा कोई व्यसन नहीं करते। प्याज-लहसुन तक से परहेज करते हैं और शुद्ध शाकाहारी हैं।
गांव के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि 17वीं शताब्दी में मुगल शासनकाल में गांव के लोग आताताइयों से त्रस्त थे। तब पंजाब के संगरूर जिले के घरांचो इलाके से सिद्ध पुरुष बाबा फकीरादास गांव पहुंचे और यहां तप किया। उन्होंने अपने चमत्कारिक व्यक्तित्व से ग्रामीणों को प्रभावित किया। उन्होंने ग्रामीणों से नशा और दूसरे तामसिक पदार्थो का परित्याग करने को कहा। तभी से यहां के लोग इस परंपरा का पालन करते चले आ रहे हैं।
बाबा फकीरादास का मंदिर गांव में ही स्थित है। बाबा के मंदिर पर हर वर्ष मेला भी लगता है। इस दौरान गांव में किसी उत्सव जैसा माहौल होता है। दूरदराज से गांव पहुंचने वाले लोगों की ग्रामीण खूब आवभगत करते हैं। गांव को पर्यटन स्थल बनाने की मांग भी समय समय पर उठती रही है।
गौरतलन है कि वर्ष 2020 में गांव का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज हुआ था। प्रशासन ने भी मिरगपुर को नशामुक्त गांव का प्रमाण पत्र दिया हुआ है। अब एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने से गांव की शान में एक तमगा और जुड़ गया है। 
गांव के लोग इसे बाबा फकीरा दास का आशीर्वाद मानते हैं। चौधरी वीरेंद्र सिंह, चतर सिंह अंकुर पंवार, डा विकल, अमित पंवार, मनोज पंवार, ओमपाल, परविंदर कुमार आदि का कहना है कि गांव में वैदिक सभ्यता की गुरु शिष्य परम्परा का निर्वहन बड़ी श्रद्धा एवं समर्पण से किया जाता है। हम अपने गुरु के चरणों में अपना जीवन समर्पित कर सकते हैं, फिर इन व्यसनों का छोड़ना तो सामान्य बात है। इन्होंने इंडिया बुक आफ रिकार्ड में गांव का नाम दर्ज होना बड़ी उपलब्धि बताया।

समीर चौधरी।

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