कार्यसमिति की बैठक में बड़ा फैसला, एक होंगे जमीयत उलेमा के दोनों गुट? प्रदर्शनकारियों में धर्म के आधार पर भेदभाव दुर्भाग्यपूर्ण, विवादित टिप्पणी करने वालो को गिरफ्तार किया जाए: मौलाना अरशद मदनी।

कार्यसमिति की बैठक में बड़ा फैसला, एक होंगे जमीयत उलेमा के दोनों गुट? प्रदर्शनकारियों में धर्म के आधार पर भेदभाव दुर्भाग्यपूर्ण, विवादित टिप्पणी करने वालो को गिरफ्तार किया जाए: मौलाना अरशद मदनी।
नई दिल्ली: जमीयत उलेमा हिंद की कार्यसमिति की बैठक में देश के मौजूदा हालात को लेकर चर्चा हुई और देश में बढ़ती सांप्रदायिकता, उग्रवाद, शांति व्यवस्था की दयनीय स्थिति और मुस्लिम अल्पसंख्यक के साथ खुले भेदभाव की कड़ी निंदा की गई साथ ही संविधान के साथ खिलवाड़ कर लोकतांत्रिक ढ़ांचे को तार-तार करने का आरोप लगाया गया। इस दौरान कार्यसमिति ने जमीयत के दोनों गुटो के एकीकरण पर मौलाना अरशद मदनी को निर्णय लेने का अधिकार दिया गया। 

सोमवार को दिल्ली स्थित मुख्यालय में आयोजित जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यकारिणी की बैठक में मौलाना अरशद मदनी को संगठन का राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मुफ्ती मौलाना मासूम साकिब को राष्ट्रीय महासचिव चुना गया।
इस अवसर पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मुल्क में प्रदर्शनकारियों में धर्म के आधार पर भेदभाव करना दुर्भाग्यपूर्ण है। 
बैठक में पारित मुख्य प्रस्ताव में विवादित टिप्पणी करने वालो की गिरफ्तारी कर कानूनी कार्रवाई की मांग की गई। जबकि दूसरें प्रस्ताव में धार्मिक कानून से संबंधित 1991 के कानून के संशोधन के किसी भी प्रयास को देश के लिए विनाशकारी बताया गया। कार्यसमिति में मौलाना अरशद मदनी ने आरोप लगाया कि मौजूद वक्त में पूरे देश में अशांति, अराजकता और सांप्रदायिकता अपने चरम पर है, देश के विशेष अल्पसंख्यकों से उनके संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक अधिकारों को छीना जा रहा है। कहा कि उनके द्वारा शांतिपूर्ण प्रदर्शन को भी देशद्रोह बताकर उन पर उत्याचार किए जा रहे हैं। जबकि अग्निपथ के नाम पर हो रहे विरोध को अपने बच्चों का विरोध कहकर नजर अंदाज किया जा रहा है। 
मौलाना ने सवाल करते हुए पूछा कि विवादित टिप्पणी करने वालो का विरोध करने वाले क्या दुश्मन के बच्चें हैं। मौलाना मदनी ने दो टूक कहा कि पैगंबर मोहम्मद का जानबूझकर अपमान किया जा रहा है। जबकि इसका विरोध प्रदर्शन करने वालो के घरों पर बुलडोजर चलाकर गोलियां चलाकर मुकदमें चलाना धर्म के आधार पर भेदभाव दुखद बताया। कहा कि मौजूदा हालात में ऐसा लगता है कि देश को अदालतों की जरुरत नहीं रही है। इसीलिए अदालतों से पहले कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सबका साथ, सबका विश्वास का नारा लगाने वालो ने कानून को भी धार्मिक रंग दे दिया है। कार्यसमिति ने इलैक्ट्रानिक मीडिया में धर्म और सियासत के नाम पर हो रही नफरत फैलाने वाली डिबेट को प्रतिबंधित किए जाने की मांग की। इस दौरान जमीयत उलेमा हिंद के दोनों गुटों को एक करने को लेकर लंबी चर्चा हुई और सभी ने मौलाना सैयद अरशद मदनी को ये अधिकार दिया कि वह अपने स्तर से इस मामले को आगे बढ़ाएं और दोनों गुटों को एक करने लिए वह जो भी निर्णय लेंगे वह सभी को कबूल होगा।
उन्होंने अंत में कहा कि धर्म का नशा पिलाकर जनता को बहुत दिनों तक मूल समस्याओं से गुमराह नहीं किया जा सकता। रोटी कपड़ा और मकान मानव की मूल आवश्कता है जिसको अनदेखा किया जाना देश के विकास एवं कल्याण के लिए अच्छा संकेत नहीं। अब भी समय है, सरकार होश में आए, धर्म और नफ़रत की राजनीति छोड़कर जनता विशेषकर युवा पीढ़ी के बेहतर भविष्य के बारे में गंभीरता से सोचे। बैठक में अध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-हिन्द, महासचिव मुफ़्ती सैयद मासूम साक़िब और सदस्यों में मौलाना अब्दुलअलीम फ़ारूक़ी लखनऊ, गुलज़ार अहमद आज़मी सचिव क़ानूनी इमदाद कमेटी जमीअत उलमा महाराष्ट्र, मुफ़्ती ग़ियासुद्दीन अहमद, मौलाना अशहद रशीदी, मौलाना मुश्ताक़ अहमद इनफ़र, मौलाना अब्दुलहादी प्रतापगढ़ी, मौलाना सैयद असजद मदनी देवबंद, फ़ज़लुर्रहमान क़ासमी, मौलाना अब्दुर्रशीद क़ासमी, मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद इस्माईल क़ासमी, मौलाना क़ारी शमसुद्दीन आदि शामिल रहे।

समीर चौधरी।

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