अखिलेश क्यों बना रहे चंद्रशेखर और ओवैसी से दूरी, तमाम प्रयासों के बावजूद भी गठबंधन पर राज़ी नहीं है सपा प्रमुख।
(शिब्ली रामपुरी)
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने अखिलेश यादव पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया. इससे पहले यह खबरें खूब सुर्खियों में थी कि भीम आर्मी और समाजवादी पार्टी में गठबंधन होने जा रहा है और अखिलेश यादव भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर की राजनीतिक पार्टी आजाद समाज पार्टी को 3 सीटें देने पर राजी हैं जिनमें एक दादरी दूसरे मेरठ की एक सीट और तीसरे सहारनपुर के रामपुर मनिहारान
लेकिन अगले ही दिन चंद्रशेखर ने प्रेस वार्ता करके अखिलेश पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि जैसे भाजपा दलितों को गुमराह कर रही है अखिलेश यादव की उसी राह पर चल रहे हैं. जाहिर सी बात है कि सपा से चंद्रशेखर की गठबंधन पर बात जमी नहीं जिसके बाद यह सब हुआ।
ऐसा ही कुछ एमआईएम चीफ ओवैसी के साथ भी काफी समय से देखने को मिल रहा है. ओवैसी भी काफी समय से यह प्रयास कर रहे हैं कि अखिलेश यादव से उनका गठबंधन हो जाए लेकिन अभी तक भी ऐसा नहीं हो सका है हालांकि ओवैसी अपनी जनसभाओं में अखिलेश यादव पर मुसलमानों को धोखा देने और उनको गुमराह करने के आरोप पूरे जोशो खरोश के साथ लगाते रहे हैं और टीवी चैनलों पर होने वाली डिबेट में भी वह समाजवादी पार्टी पर मुसलमानों को अनदेखा करने का आरोप लगाते हैं।
जहां तक सपा प्रमुख अखिलेश यादव की बात है तो उन्होंने अपने चाचा शिवपाल यादव से लेकर ओमप्रकाश राजभर और राष्ट्रीय लोकदल तक के साथ गठबंधन किया है और कई और छोटी छोटी पार्टियां भी उनके साथ गठबंधन में शामिल हैं लेकिन उन्होंने ओवैसी और चंद्रशेखर से दूरी बनाकर क्यों रखी यह समझ में नहीं आता.
एमआईएम से दूरी बनाने की एक बड़ी वजह तो यह मानी जा सकती है कि कहीं चुनाव में अखिलेश यादव पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप विपक्षी दल ना लगाने लगे लेकिन भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर से गठबंधन ना करना तो समझ से परे नजर आता है. चंद्रशेखर के बारे में माना जाता है कि जो बसपा के वोटर रहे हैं उनमें चंद्रशेखर ने काफी हद तक सेंध लगाने का काम किया है ऐसे में यदि सपा से चंद्रशेखर का गठबंधन हो जाता तो फिर बसपा के वोटरों में समाजवादी पार्टी काफी हद तक सेंध लगाने में कामयाब होती नजर आती. लेकिन अब जब गठबंधन नहीं हुआ है तो आगामी दिनों में यह देखना दिलचस्प रहेगा के एमआईएम और आजाद समाज पार्टी से गठबंधन ना करने का कितना नुकसान समाजवादी पार्टी को सियासी तौर पर उठाना पड़ेगा।
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