देवबंद में सर सय्यद डे के मौके पर "सर सय्यद अहमद खान" को याद किया गया, सर सैयद द्वारा स्थापित AMU देश दुनिया में मशहूर।

देवबंद में सर सय्यद डे के मौके पर "सर सय्यद अहमद खान" को याद किया गया, सर सैयद द्वारा स्थापित AMU देश दुनिया में मशहूर।


देवबंद: क़ासमी मानव सेवा ट्रस्ट की जानिब से "सर सय्यद डे" के मौके पर मोहल्ला पठानपुरा में एक प्रोग्राम किया गया। जिसकी अध्यक्षता ट्रस्ट के चेयरमैन ताहिर हसन शिबली ने की। संचालन अंसार मसूदी ने किया। 

प्रोग्राम में बोलते हुए समाज सेवी व "साहित्य व सामाजिक संस्था " नजर " के अध्यक्ष नजम उस्मानी ने कहा कि
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खां की आज यौम ए पैदाइश है। तालीम के लिए देश दुनिया में मशहूर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) की अपनी अलग ही पहचान है। जब 1857 में मुल्क को आजाद कराने के लिए पहली आजादी की लड़ाई में जब ज्यादा कामयाबी नहीं मिली थी तो उसके बाद सर सय्यद अहमद खान साहब ने कामयाबी कैसे मिले इस पर गौर किया था जिस में उन्होंने पाया था कि भारतीयों को शिक्षा के मैदान में मजबूत बनाया जाए। 

उन्होंने अलीगढ़ आंदोलन के जरिए शिक्षा क्रांति लाने के लिए मोहम्मद एग्लो ऑरियनटल कॉलेज की स्थापना की। यह बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना। एएमयू की स्थापना ऐसे ही नहीं हो गई। इसके लिए जो मेहनत, कुरबानी उन्होने दी, वह इतिहास में एक मिसाल है। अगर हम इतिहास के पन्नों को पलटें तो पता चलेगा कि सर सैयद ने केवल एक शैक्षिक संस्थान की स्थापना ही नहीं की, बल्कि एक आंदोलन जारी किया। यह आंदोलन आज भी जारी है। 1920 मे संसद के एक विधेयक के अंतर्गत अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना।
नजम उस्मानी ने कहा कि सर सय्यद डे के मौके पर देवबंद में प्रोग्राम कर सर सय्यद अहमद खान साहब और उनकी खिदमात को याद करना चाहिए ताकि आने वाली नस्लें इतिहास से अच्छी तरह वाकिफ हो सके ना की सिर्फ इतिहास के पन्नो तक मेहदूद हो जाए, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से तालीम हासिल करने के बाद मुल्क के राष्ट्रपति से लेकर मुख्य मंत्री, मंत्री, वकील, डॉक्टर, इंजीनियर बन मुल्क की खिदमत की है।

ट्रस्ट के चेयरमैन ताहिर हसन शिबली ने कहा कि आईंदा ट्रस्ट की और से सर सय्यद डे के मौके पर एक बड़ा प्रोग्राम किया जाएगा, जिस में सर सय्यद अवॉर्ड दिया जाएगा। आखिर में सभी मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।
प्रोग्राम में अंसार मसूदी, साजिद कुरेशी, मुर्तजा कुरेशी, मास्टर फैजुल हसन, माहिंन हसन शिबली, नवाब कुरेशी, इरफान सिद्दीकी, कमरुज्जमा, ऐनुल हक मोजूद रहे।

समीर चौधरी।

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