दारुल उलूम ने पाठ्यक्रम में तब्दीली को नकारा, सम्मेलन में बोले मोहतमिम "निसाब बदला तो भटक जाएंगे मदरसे", मदरसों में प्राइमरी शिक्षा पर दिया जोर।
देवबंद: दारुल उलूम में चल रहे मदरसों के सम्मेलन में मदरसों के तालीमी निजाम को पुराने पाठ्यक्रम के आधार पर रखने को कहा गया। दारूल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि यदि पाठ्यक्रम में तब्दीली हुई तो मदरसे अपने असली मकसद से भटक जाएंगे।
मदरसों के सम्मेलन में अपने अध्यक्षीय भाषण में मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि यदि कोई संगठन या संस्था अपने मकसद के तहत काम नहीं करती है तो वह एक ढांचा बनकर रह जाती है। इसलिए हमको चाहिए कि हम अपने मकसद को पाने के लिए हर समय प्रयासरत रहें। कहा कि कुछ नासमझ लोग मदरसों के पाठ्यक्रम में बुनियादी तब्दीली और और मॉडर्न एजुकेशन की बात करते है। ऐसे लोगों से प्रभावित होने की कतई जरूरत नहीं है। बल्कि तालीम के अपने पुराने निजाम को ही कायम रखें। बोलें कि हम एकजुट होकर एक आवाज में पाठ्यक्रम में तब्दीली को नकारते है। क्योंकि यह पाठ्यक्रम ही मदरसों का असली मकसद है। अगर वह इससे हटे तो मदरसे भटक जाएंगे।
कक्षा पांच तक साइंस और इतिहास भी पढ़ाएं
उन्होंने सम्मेलन में मदरसा संचालकों से कक्षा पांच तक बच्चों के स्कूली विषयों को भी पढ़ाने का आहवान हुआ। मोहतमिम नोमानी ने कहा कि मदरसे अपने बच्चों के लिए अपने यहां प्राइमरी शिक्षा का प्रबंध करें। कक्षा 5 तक मैथ, साइंस, इंगलिश और क्षेत्रीय भाषा के साथ ही इतिहास विषय को शामिल करें। बेहतर यह रहेगा कि इस प्राइमरी कोर्स की मंजूरी सरकार से ली जाए।
नोमानी ने कहा कि बेहतर तालीम का मकसद उस समय हासिल होगा, जब बच्चे संस्कारवान बनेंगे। इसलिए तालीम के साथ-साथ छात्रों को संस्कारवान बनाने पर खास तवज्जो दी जाए।
नोमानी ने मौजूदा हालात को सामने रखते हुए कहा कि किसी भी नकारात्मक सोच और अमल से बचें। छोटे बड़े सभी मदरसे अपने दस्तावेज को दुरुस्त और अपनी व्यवस्था को चाक-चौबंद रखें।
मोहतमिम नोमानी ने यह भी कहा कि मदरसे अमन शांति का पाठ पढ़ाते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि देश के खिलाफ उठने वाली ताकतों का सिर कुचलना भी मदरसों की अहम जिम्मेदारी है।
समीर चौधरी।
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